भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में साजिश करने के आरोपी 83 साल के स्टैन स्वामी को अब पानी और जूस पीने की स्ट्रॉ और सिपर के लिए कम से कम एक हफ्ते का इंतजार करना पड़ेगा। पार्किंसन बीमारी से पीड़ित स्टैन स्वामी ने कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें परेशानी की वजह से स्ट्रॉ और सिपर कप की जरूरत है और एनआईए को यह दोनों चीजें लौटानी चाहिए। हालांकि, एनआईए ने कोर्ट को बताया कि उसने स्टैन स्वामी की गिरफ्तारी के वक्त उनकी कोई भी चीज जब्त नहीं की थी।

एनआईए के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर मीडिया ग्रुप एनडीटीवी को बताया कि स्टैन स्वामी को कभी एनआईए की कस्टडी में ले ही नहीं जाया गया, इसलिए उनकी कोई भी चीज हमारे पास नहीं है। उन्हें सीधे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, इसलिए उन्हें अब किसी भी चीज के लिए जेल अधिकारियों से मांग करनी होगी। हमें नहीं पता कि उन्होंने जेल अधिकारियों से ऐसी कोई मांग की भी है या नहीं।

पुणे स्थित विशेष अदालत ने एनआईए के जवाब के बाद स्टैन स्वामी की याचिका को रद्द कर दिया। हालांकि, उन्होंने एक नई ऐप्लीकेशन में जेल के अंदर स्ट्रॉ-सिपर और सर्दी के कपड़ों की मांग की है। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में जेल प्रशासन से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 4 दिसंबर तक स्थगित कर दी। यानी स्टैन स्वामी को अभी स्ट्रॉ-सिपर कप के लिए कम से कम अगले शुक्रवार तक इंतजार करना होगा।

बता दें कि आदिवासियों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को पिछले महीने एनआईए की टीम ने दिल्ली से झारखंड के रांची जाकर पकड़ा था। स्टैन स्वामी अब तक भीमा-कोरेगांव केस में गिरफ्तार किए गए सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं। वे पहले से ही कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।

क्या है भीमा-कोरेगांव मामला?: यहा मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक कार्यक्रम से जुड़ा है, जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र में हिंसा और आगजनी जैसी घटनाएं हुई थीं और एक व्यक्ति की जान भी गई थी। जांचकर्ताओं का कहना है कि कार्यक्रम में एल्गार परिषद के लोगों ने भड़काऊ बयान दिए थे, जिससे अगले दिन ही हिंसा भड़क उठी थी। जांच में दावा किया गया है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का भी खुलासा हुआ।