लायन सफारी को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को लगातार झटके ही लग रहे हैं। शनिवार की सुबह लायन सफारी में शेरनी तपस्या ने दम तोड़ दिया। तपस्या को 28 दिसंबर को ही गुजरात के एक चिड़ियाघर से लायन सफारी में लाया गया था।

इटावा के लायन सफारी को अच्छी तरह से विकसित करना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का सपना है। यहां पर अब तक दो शेर और एक शेरनी की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी प्रदेश का वन विभाग इसको लायन सफारी के रूप में विकसित करने को कमर कसे है। पिछले 28 दिसंबर को गुजरात के जूनागढ़ से एक शेर और दो शेरनी को लाया गया था।

पहले गुजरात सरकार ने इन्हें देने से मना कर दिया था। बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रयास पर इन्हें लाया गया। सफारी के मुख्य वन संरक्षक एसके उपाध्याय के निर्देशन पर गुजरात से शेर पटौदी और शेरनी जेसिका व तपस्या को लाया गया। इसमें पटौदी और तपस्या की उम्र साढ़े तीन साल है जबकि जेसिका सात साल की है। सफारी के वारेन टाउन में इन तीनों को रखा गया है।

कड़ाके की सर्दी से बचाव के लिए हीटर की भी व्यवस्था है। इसके साथ ही पुआल भी बिछाया गया था। शनिवार तड़के शेरनी तपस्या ने दम तोड़ दिया। शेरनी तपस्या में खून की कमी हो गई थी, इसके साथ ही यहां का बेहद ठंडा वातावरण भी उसको रास नहीं आ रहा था। गुजरात के जूनागढ़ के शंकरबाग जू से इनको इटावा के लायन सफारी में लाया गया था। वन विभाग के अधिकारी अब इसको लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

इटावा के लायन सफारी में 28 दिसंबर को पधारे नए मेहमानों को ब्रीडिंग सेंटर के कुरनटाइन हाउस व एनिमल हाउस में रखा गया। लायन सफारी में विष्णु व लक्ष्मी नामक शेरों के जोड़े की मौत के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नए शेरों के जोड़े को सफारी में लाने के लिए लंबे समय से प्रयासरत थे। जेसिका को एनिमल हाउस में रखा गया और पटौदी व तपस्या को सफारी के कुरनटाइन हाउस में रखा गया था।

बताते चले कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस अहम ड्रीम प्रोजेक्ट में पहले लक्ष्मी और विष्णु नाम की शेरों की जोड़ी की मौत हुई। इसके बाद पांच शावकों की एक के बाद एक करके मौत हुई। एक बार फिर तपस्या नाम की शेरनी की मौत ने सफारी प्रशासन को सकते मे ला दिया है।