प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के छात्र आयुष चतुर्वेदी का एक भाषण इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पर वायरल भाषण में उनका शुरुआती अंश नहीं है। उन्होंने भाषण की शुरुआत कुछ इस अंदाज में की थी- ये किसने कहा आपसे आंधी के साथ हूं, मैं गोडसे के दौर में गांधी के साथ हूं। अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने आयुष से बातचीत के हवाले से बताया है कि भाषण की रिकॉर्डिंग शुरुआत से नहीं हुई थी।
कैसे वायरल हुआ वीडियो: सेंट्रल हिन्दू ब्याज स्कूल के कक्षा 11 के छात्र ने बताया कि मेरे परिवार में शुरू से सभी लोगों की साहित्य में रुचि थी। मेरे दादा जी कविता लिखते थे और पिता जी को भी लिखने-पढऩे का शौक था। मैं भी बचपन से महात्मा गांधी को पढ़ता आया हूं। स्कूल में व्याख्यान देने के बाद मेरी माता ने अपने फेसबुक पर इस वीडियो को शेयर किया था इसके बाद कांग्रेस की एनएसयूआई ने इसे शेयर किया था इसके बाद वीडियो वायरल हो गया।
क्यों चुनीं ऐसी पंक्तियां: आयुष ने बताया कि उन्होंने उर्दू कवि इमरान प्रतापगढ़ी की पंक्तियों को इसलिए चुना क्योंकि आजकल कुछ ताकतवर लोग गोडसे की पूजा कर रहे हैं। कुछ शक्तिशाली लोगों की तुलना इन दिनों महात्मा गांधी से की जा रही है। वे जानते हैं कि गांधी को अस्वीकार करना इतना आसान नहीं होगा और इसलिए वे खुद की तुलना राष्ट्रपिता से करने की कोशिश करते हैं। मुंह में राम, बगल में छुरी। (भाषण का वीडियो इस लिंंक मेंं है)
दिल की बात कही: आयुष ने जब वह भाषण दिया वे जानते थे कि वे किसके खिलाफ बोल रहे हैं। जब उनसे पूछा गया की ऐसा करते हुए उन्हें डर नहीं लगता तो आयुष ने कहा, “जो होगा देख लेंगे। अगर आपको गांधी के बारे में बोलना है, तो आपको ऐसा करना होगा, जो असर छोड़े।” आयुष ने बताया कि वे काका हाथरसी पर बोलने वाले थे लेकिन आखिरी मिनट पर विषय बदल कर गांधी कर लिया, क्योंकि हम उनकी 150वीं जयंती मना रहे थे। तो मैंने अपने दिल की बात कह दी।
17 साल के आयुष वाराणसी के सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल में नवीं के छात्र हैं। उनके पिता गणेश शंकर चतुर्वेदी अस्सी नदी बचाओ संघर्ष समिति चलाते हैं। मां गृहिणी हैं। आयुष का कहना है कि उन्हें पिता से ही अच्छी बातें सीखने को मिली हैं, जबकि मां उनकी रीढ़ हैं।
आयुष अपने भाषण में एक बड़ी बात कही उन्होंने कहा कि बड़ी विडंबना है कि गांधी के देश के लोगों ने ही गांधी को सबसे कम पढ़ा और समझा है। हमारे पास फैंसी और फेसबुकिया ज्ञान है और हम बंटवारे का शाश्वत कारण गांधी को मानते हैं। गांधी से बड़ा कोई हिंदू नहीं हुआ। लेकिन गांधी के हे राम से कोई कौमें डरती नहीं थींं क्योंकि गांधी भारत में धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक थे। आज के समय में अहिंसा को कायरता और कमजोरी का प्रतीक समझा जाता है।