भारत-चीन की तवांग सेक्टर में हुई झड़प के बाद LAC के पास शुरू हुए युद्धाभ्यास का आज दूसरा दिन है। इस युद्धाभ्यास में सुखोई और राफेल जैसे लड़ाकू विमान आसमान में उड़ान भरेंगे। सूत्रों ने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य क्षेत्र में भारतीय वायुसेना (IAF) की समग्र युद्धक क्षमता और सैन्य तैयारियों की जांच करना है। हालांकि युद्ध अभ्यास की योजना भारतीय और चीनी सेनाओं (Indian and Chinese armies) के बीच आमने-सामने होने से बहुत पहले बनाई गई थी। वहीं भारत-चीन झड़प पर सेना का भी बयान आया है।

Eastern Air Command के अधिकारी करेंगे युद्धाभ्यास की समीक्षा

एक सूत्र ने Buisness Standard को बताया कहा कि पूर्वोत्तर में सभी फ्रंटलाइन एयर बेस और कुछ प्रमुख एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स (Advanced Landing Grounds) अभ्यास में शामिल होने के लिए तैयार हैं। पूर्वी वायु कमान (Eastern Air Command) के शीर्ष अधिकारी सुरक्षा मैट्रिक्स के मद्देनजर क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की तैयारियों की व्यापक समीक्षा भी करेंगे।

मामले को सुलझा लिया गया- सेना

वहीं युद्धाभ्यास पर पूर्वी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता (lieutenant General RP Kalita) ने कहा कि अभी स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा, “बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से सेना को मदद मिलती है। अभी स्थिति नियंत्रण में है। तवांग में हालात नियंत्रण में है। बुमला में फ्लैग मीटिंग भी की गई और स्थानीय स्तर पर मामले को सुलझा लिया गया है।”

राजनाथ सिंह ने संसद में दी थी जानकारी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने मंगलवार को संसद (Parliament) में बताया था कि भारतीय सैनिकों ने चीनी पीएलए द्वारा तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एकतरफा यथास्थिति बदलने के प्रयास को बहादुरी से विफल कर दिया। उन्होंने बताया था कि हाथापाई हुई लेकिन इसमें कोई भारतीय सैनिकों हताहत या गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ।

चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों के बाद भारत ने उतारा लड़ाकू विमान

सेना और भारतीय वायुसेना (Army and IAF) पूर्वी लद्दाख विवाद के बाद पिछले दो वर्षों से अधिक समय से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्र में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ परिचालन तत्परता की एक उच्च स्थिति बनाए हुए हैं। भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर (Tawang sector of Arunachal Pradesh) में एलएसी के अपने हिस्से में चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों के बाद लड़ाकू विमानों को उतारा था।