संसद का मानसून सत्र अपने तय समय से पहले ही खत्म किए जाने को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस, टीएमसी, सपा और राजद समेत ज्यादातर पार्टियों का आरोप है कि केंद्र ने पेगासस जासूसी मामले और किसान कानूनों पर बहस से बचने के लिए दोनों सदनों की कार्यवाही जल्दी खत्म कर दी। उधर सरकार ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के हंगामे की वजह से लोकसभा और राज्यसभा दोनों की गरिमा भंग हुई और दोनों सदनों की उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित हुई। हालांकि, अब इस बहस को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने खुद सत्र में एक भी दिन के लिए दोनों सदनों में से किसी में हाजिरी नहीं दी।
महुआ मोइत्रा ने किस बात पर मारा तंज?: दरअसल, हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र से गायब रहने वाले भाजपा सांसदों की लिस्ट मंगाई थी। बताया जाता है कि ऐसा उन्होंने विपक्ष के हंगामे के खिलाफ अपनी पार्टी कमजोर पड़ रहे पक्ष को देखते हुए किया था। इसके बाद गुरुवार को ही केंद्र सरकार के 8 मंत्रियों ने साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसी को लेकर टीएमसी सांसद ने मोदी और शाह की हाजिरी को लेकर तंज मारा।
क्या बोलीं महुआ मोइत्रा?: महुआ मोइत्रा ने कहा, “विडंबना की परिभाषा क्या होगी? संसद के अनिश्चितकाल के लिए स्थगति किए जाने के बाद 8 मंत्रियों का विपक्ष को कोसने के लिए साथ आना, जबकि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सत्र में एक भी दिन किसी भी सदन में हाजिरी नहीं लगाई।”
‘महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए किसी सरकार ने नहीं किया काम’: इससे पहले महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी महिलाएं संसद में उचित प्रतिनिधित्व पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि महिलाओं को चुनावी राजनीति और संगठनात्मक राजनीतिक स्तर पर प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।
मोइत्रा ने कहा, ‘‘पार्टियों को भारी बहुमत मिल चुके हैं, लेकिन कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), इस विधेयक पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है, जैसा कि हाल में संसद में ओबीसी विधेयक के दौरान हुआ था। वास्तव में हमें सही काम करने के लिए किसी विधेयक की जरूरत नहीं है। टीएमसी और बीजू जनता दल (बीजद) ने ऐसा करने के लिए किसी विधेयक का इंतजार नहीं किया। महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए हमें किसी विधेयक की जरूरत नहीं है।’’

