भारतीय जनता पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया है। छात्र राजनीति से निकले रावत उत्तराखंड नए राज्य बनने के बाद नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व में बनी पहली सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। राजनीति में वो भुवन चंद्र खंडूड़ी के शिष्य माने जाते हैं।
संघ के हैं करीबी: तीरथ सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी माने जाते रहे हैं। साल 1983 से 1988 तक आरएसएस के प्रचारक के रूप में उन्होंने काम किया है। इस दौरान उत्तरप्रदेश के गांव-गांव में जाकर उन्होंने संघ को मजबूत बनाने के लिए काम किया था। संघ ने युवाओं के बीच उनके पैठ और उनके सांगठनिक क्षमता को देखते हुए उन्हें बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम करने के लिए भेज दिया। ईमानदार छवि के कारण विरोधियों के बीच भी रावत की अच्छी पकड़ मानी जाती है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय में बने थे छात्र संघ अध्यक्ष: छात्र राजनीति में कदम रखने के बाद रावत ने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में जीत दर्ज की थी। बाद में वो छात्र संघ मोर्चा उत्तर प्रदेश में प्रदेश उपाध्यक्ष बने। छात्र राजनीति के दौरान उन्होंने अलग राज्य के लिए कई आंदोलन में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता में हैं डिप्लोमा: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1964 में जन्में तीरथ सिह रावत ने सोशियोलॉजी में एमए तक की पढ़ाई करने के बाद पत्रकारिता में गढ़वाल विश्वविद्यालय से डिप्लोमा की डिग्री ली है।
राजनीतिक जीवन: रावत 1997 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने थे। साल 2007 में वो बीजेपी के उत्तराखंड राज्य प्रदेश प्रभारी बने। साल 2012 में उन्होंने चौबटाखाल विधानसभा चुनाव जीत कर विधानसभा में कदम रखा। 2019 में गढवाल लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी को लगभग 3 लाख मतों से हराया था।