सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस रूल्ज को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट की तल्खी का आलम ये था कि आनन फानन में पंजाब व हरियाणा की सरकार के साथ दोनों सूबों के चीफ सेक्रेटीज और तमाम उन अफसरों को फऱमान जारी किया गया है जो पुलिस महकमे से जु़ड़े हैं। टॉप कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये सारे लोग मिलकर देखें कि किस तरह से अंग्रेजों के जमाने में तैयार किए गए नियमों में बदलाव किया जा सकता है।

पुलिस के एक हेड कांस्टेबल को डिमोट करने के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस रूल्ज को लेकर अपनी नाराजगी जताई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की बेंच ने कहा कि जब ये नियम गढ़े गए थे तब जमाना कुछ और था। उस दौरान अंग्रेज हमारे ऊपर शासन करते थे। समाज का ताना बाना भी आज की तुलना में काफी पीछे थे। समय बदला और समाज भी। अलबत्ता पंजाब पुलिस के रूल्ज वही हैं जो 1934 में हुआ करते थे। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ये नियम आज के बदल चुके दौर के साथ तालमेल नहीं बिठा रहे।

1934 में जब रूल्ज बने तब आईजी होता था सूबे का सबसे बड़ा अफसर

1934 में जब पंजाब पुलिस रूल्ज बनाए गए थे तब आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) को सूबे में सबसे बड़ा पुलिस अफसर माना जाता था। लेकिन आज के दौर में एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ADGP) और डायरेक्ट जनरल ऑफ पुलिस (DGP) सूबे में आईजी से बड़े अफसर हैं। जब ये नियम बनाए गए थे तब रेंज और कमिश्नरी नहीं बने थे। समय के साथ ये सारे नियम अपना तारतम्य नहीं बिठा पाए। बेंच का कहना था कि उन्हें ये कहते बिलकुल भी हिचक नहीं हो रही है कि जो भी नेता व अफसर इस मसले से जुड़े हैं उन्होंने इस दिशा में कोई भी काम ठीक से नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट बोला- अब समय आ गया है कि हम रूल्ज में बदलाव करें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों सूबों की सरकारें इस दिशा में गंभीरता से मनन करें। सूबे के चीफ सेक्रेट्रीज इस दिशा में सुधार के लिए अपने चीफ मिनिस्टर और मातहतों के साथ विचार विमर्श करके कोई ठोस समाधान निकाले। हमें हर हाल में आज के समय के हिसाब से नियम नए सिरे से गढ़ने होंगे। 1934 में बनाए गए ये रूल्ज किसी भी लिहाज से आज के समय से तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं।