अलेश राजू

तिहाड़ जेल में शुक्रवार शाम हुई प्रिंस तेवतिया की हत्या कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी तिहाड़ जेल में कैदियों के बीच चाकूबाजी और खूनी खेल होते रहे हैं। जेल वेन में तो दर्जनों बार कैदियों में पुलिस के सामने चाकूबाजी हुई है।

सीरियल किलर के नाम से कुख्यात चार्ल्स शोभराज 1986 में तो फूलन देवी हत्याकांड के आरोपी शेर सिंह राणा 31 मई 2018 का नाटकीय अंदाज में फरार हो जाना जेल प्रशासन की तमाम सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगाता है। एशिया की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली तिहाड़ जेल में लगातार सुधार के दावों के बावजूद कैदियों के पास से मोबाइल, चाकू और हथियार बरामद होते रहे हैं।

शेर सिंह राणा के फरार होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था : फूलन देवी हत्याकांड के आरोपी शेर सिंह राणा 17 फरवरी 2004 को फिल्मी अंदाज में तिहाड़ जेल से फरार हो गया था। 17 फरवरी 2004 को सुबह 6:55 मिनट पर तिहाड़ जेल में राणा से मिलने एक पुलिस अफसर आता है। कहता है कि कोर्ट में राणा की पेशी है इसलिए ले जाना है। महज 10 मिनट के अंदर यानी 7:05 मिनट पर राणा तिहाड़ से चला जाता है।

40 मिनट बाद यानी पौने आठ बजे पता चलता है कि राणा कोर्ट नहीं गया है बल्कि जेल से फरार हो गया है। बावजूद इसके एक भी हफ्ता ऐसा नहीं जाता, जब कैदी बीमारी का नाटक नहीं करते, आत्महत्या का प्रयास नहीं करते या भागने की कोशिश नहीं करते।

जेल में हथियार कहां से आते हैं

प्रिंस तेवतिया के परिजनों ने भी आरोप लगाया कि जेल में चाकू कैसे गई, उसका खुलासा होना चाहिए। तेवतिया की पत्नी और मां भी तिहाड़ की सुरक्षा पर सवाल उठा रहीं हैं। मां का कहना है कि हत्या में पुलिस की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा मां ने कहा कि जेल के अंदर चाकू छूरी कैसे पहुंचती, जब हर चीज की जांच होती है।

यहां तक की कपड़ा और खाना की जांच होती है तो छूरी कैसे अंदर पहुंच गई वहीं, उसकी पत्नी का कहना है कि प्रिंस को छह चाकू मारे गए जबतक कि उसने जान नहीं चली गई। इसी साल नौ मार्च को एक सूचना पर छापा मारा गया तो कैदियों के पास 23 सर्जिकल ब्लेड, नशीले पदार्थ, दो मोबाइल और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हुए थे। ऐसे में सवाल यह है कि कैदियों के पास कहां से चाकू कहां से आ गए?