देश की सबसे VVIP तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट सुनील गुप्ता ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने सहाराश्री सुब्रत रॉय के जेल के दिनों को लेकर बड़ा दावा किया है। तिहाड़ सुपरिटेंडेंट रहे सुनील गुप्ता ने कहा कि जब सुब्रत रॉय जेल में बंद थे, तब उनसे मिलने दिन में दो-तीन बार एयर होस्टेस आती थीं और उनके साथ घंटे बिताती थीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि सुब्रत रॉय के सेल से शराब की बोतल भी उन्होंने पकड़ी थी।

‘सुब्रत रॉय से मिलने आती थीं एयर होस्टेस’

समाचार एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में सुनील गुप्ता ने कहा, “कोर्ट से सुब्रत रॉय को एक कोर्ट कॉम्प्लेक्स में रहने की इजाजत मिली थी, क्योंकि उन्होंने कहा था कि उन्हें अपनी संपत्ति बेचनी है और लोगों के पैसे वापस करने हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों के बिजनेसमैन से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात करनी होगी। इसके बाद उन्हें कोर्ट ने कॉम्प्लेक्स देने के लिए कह दिया और फिर एक प्राइवेट सेक्रेटरी रखने के लिए भी इजाजत दे दी। उन्होंने एक महिला प्राइवेट सेक्रेटरी रखी थी। लेकिन दिन में उनसे दो-तीन बार अलग-अलग एयर होस्टेस मिलने आती थीं। वह किस लिए आती थीं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। आप जो भी सोचना चाहे, सोच सकते हैं।”

केजरीवाल से हुई थी शिकायत

सुनील गुप्ता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में कहा गया था कि सब कुछ कानूनी रूप से किया जाना चाहिए। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मुझे बुलाया था और कहा था कि जेल में रिश्वतखोरी और जबरन वसूली की कई शिकायतें हैं। मैंने इस मुद्दे को डीजी जेल की अध्यक्षता में हुई हमारी बैठकों में उठाया। डीजी जेल को लगा कि मैं उनके खिलाफ शिकायत कर रहा हूं। इसलिए उन्होंने इसे ठीक से नहीं लिया। तत्कालीन डीजी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और कोई कार्रवाई नहीं की। मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। इसलिए मैंने (तत्कालीन) सीएम अरविंद केजरीवाल से संपर्क किया।”

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सुनील गुप्ता का बड़ा दावा

सुनील गुप्ता ने कहा कि जेल मंत्री की मौजूदगी में मैंने उन्हें (तत्कालीन सीएम केजरीवाल को) सुब्रत रॉय सहारा की सुविधाओं के बारे में सब कुछ बताया और कहा कि जेल प्रशासन की मिलीभगत से ये सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इसका वीडियो शूट कर सकता हूं। मैंने उससे कहा कि यह मेरे लिए सही नहीं होगा और वह यहां आकर खुद इसकी जांच कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि डीजी जेल एक आईपीएस अधिकारी हैं जो केंद्र सरकार के अधीन आते हैं और हमें नहीं पता कि हम उनके बारे में कुछ कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर छापेमारी में सब कुछ मिला तो अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। मैंने उनसे कहा कि जब आप अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करेंगे तो वह कहेंगे कि महानिदेशक के कहने पर वह सब कुछ कर रहे हैं। उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं थी, मैं खुश था। लेकिन दो दिन बाद डीजी ने मुझसे कहा कि (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के पास जाना मेरे लिए ठीक नहीं है, और मैंने एक ‘गरीब आदमी’ को फंसाया। लेकिन इस बारे में कुछ नहीं किया गया।”

मुझे परेशान किया गया- सुनील गुप्ता

सुनील गुप्ता ने आगे कहा, “जेल मंत्री ने मुख्यालय का दौरा किया और डीजी और अन्य अधिकारियों से कहा कि वे यहां कुछ भी गलत न करें। आखिरकार कुछ भी ठोस नहीं किया गया। वह (सुब्रत रॉय सहारा) सुविधाओं का आनंद लेते रहे। जेल प्रशासन उनके सामने झुक गया। फिर उन्होंने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया। मैं (तत्कालीन) उपराज्यपाल से मिला। उन्होंने मुझे अपने सचिव से बात करने के लिए कहा। मैंने वैसा ही किया और उन्हें सब कुछ समझाया। लेकिन मैंने जो भी कहा, उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब मैं रिटायर हो रहा था, तो मुझे 10 साल पुराने मामले में अनियमितताओं के संबंध में 15 पेज की चार्जशीट दी गई थी। यह सिर्फ परेशान करने के लिए था। मुझे 4-5 साल बाद दोषमुक्त कर दिया गया और सरकार ने चार्जशीट वापस ले ली। लेकिन मैं उन 5 सालों में बहुत परेशान था। मुझे पता था कि ऐसा होगा।”