माल ढुलाई की गति में रफ्तार लाने, उच्च यातायात घनत्व वाले रेल मार्ग को सुगम बनाने और देश के प्रमुख बंदरगाहों तक संपर्क मजबूत करने के लिए भारतीय रेलवे तीन प्रमुख आर्थिक गलियारा तैयार करेगा। इन गलियारों को लेकर रेलवे ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। प्रस्ताव के तहत 40 हजार 900 किलोमीटर ट्रैक वाली 434 परियोजनाओं को बनाने से 1245-1375 मिलियन टन प्रति वर्ष की यातायात क्षमता में बढ़त हो सकती है। इसका सीधा फायदा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में देखने को मिलेगा। साथ ही भारत के ‘नेट जीरो’ कार्बन लक्ष्य (2070) की दिशा में एक अहम कदम होगा।
रेलवे अधिकारी के अनुसार भारतीय रेलवे ने सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए तीन प्रमुख आर्थिक रेलवे गलियारा कार्यक्रम तैयार किया है। इसके तहत ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा तैयार किया जाएगा। इस परियोजना के तहत 192 परियोजना को चिह्नित किया गया है। परियोजना की ट्रैक लंबाई 22200 किमी होगी। इस गलियारा की मदद से यातायात में 700-750 मिलियन टन प्रति वर्ष की वृद्धि होने का अनुमान है। दूसरे उच्च यातायात घनत्व गलियारे के तहत 200 परियोजना को चिह्नित किया गया है।
परियोजना की ट्रैक लंबाई 16600 किमी होगी। इस गलियारा की मदद से यातायात में 425-475 मिलियन टन प्रति वर्ष की वृद्धि होने का अनुमान है। वहीं तीसरे बंदरगाह संपर्क (रेल सागर) गलियारे के तहत 42 परियोजना को चिह्नित किया गया है। परियोजना की ट्रैक लंबाई 2100 किमी होगी। इस गलियारा की मदद से यातायात में 120-150 मिलियन टन प्रति वर्ष की वृद्धि होने का अनुमान है।
रेलवे अधिकारी ने बताया कि इन परियोजनाओं की पहचान पीएम गति शक्ति के तहत बहु-माडल संपर्क को सक्षम करने के लिए की गई है। ये संभार तंत्र (लाजिस्टिक्स) दक्षता में सुधार करेंगी और लागत कम लाने में सहायक होगी। उच्च यातायात गलियारे की मदद से पटरियों पर भीड़भाड़ में कमी आएगी। साथ ही यात्री ट्रेनों के संचालन में भी सुधार होगा।
ट्रेनों के देर होने की संख्या घटेगी। इसके परिणामस्वरूप यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की गति बढ़ेगी। समर्पित माल ढुलाई गलियारे के साथ इन परियोजना से जीडीपी वृद्धि को गति मिलेगी। रेलवे अधिकारी ने दावा किया कि इन परियोजना की मदद से देश की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी। मौजूदा समय में रेलवे सिर्फ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया है। इन तीनों गलियारों से ऊर्जा, खनिज, सीमेंट, और निर्यात/आयात क्षेत्र की माल ढुलाई को गति मिलेगी और उद्योगों तक पहुंच आसान बनेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन परियोजनाओं से भारत की संभार तंत्र लागत जो वर्तमान में जीडीपी का लगभग 14 फीसद है। घटकर 8-9 फीसद तक आने का अनुमान है। इससे विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा और ‘मेक इन इंडिया’ को नई ताकत मिलेगी।
झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़ीशा, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे औद्योगिक राज्यों को इन कारिडोरों से सबसे ज्यादा फायदा होगा। इन इलाकों से निकलने वाला खनिज, कोयला और सीमेंट अब सीधे बंदरगाहों तक पहुंचेगा। इससे देश के निर्यात क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी। रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना में 70% कम कार्बन उत्सर्जन करता है।
