दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान पुलिस के उस ऐक्शन को गुंडागर्दी करार दिया, जिसमें पुलिस टीम ने 26 साल की एक युवती को उसकी मर्जी के बगैर राष्ट्रीय राजधानी से उठा लिया था। कोर्ट ने इस मामले में जांच के बाद राज्य सरकार को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दे दिए हैं।
दरअसल, मंगलवार को राजस्थान पुलिस का एक दस्ता जामिया नगर (दिल्ली) आया और शीना चौधरी को अपने साथ जबरन ले गया। पुलिस वाले चौधरी का उस मामले में बयान लेना चाहते थे, जो उनके पिता ने दर्ज कराया था। मामले में पिता ने उनके अपहरण, शादी के लिए मजबूर करने और गलत तरीके से कैद करने का आरोप लगाया था। हालांकि, चौधरी ने इससे पहले दिल्ली पुलिस को बताया था कि परिवार वाले उन पर शादी का दबाव बना रहे हैं और इसी वजह से उन्होंने घर छोड़ दिया।
गुरुवार को कोर्ट आदेशानुसार, उन्हें जस्टिस विपिन संघी और रजनीश भटनागर की डिविजन बेंच के समक्ष पेश किया गया। लड़की को छोड़ने से जुड़ी याचिका पर वर्चुअल सुनवाई के दौरान राजस्थान पुलिस की एक टीम से कोर्ट ने कहा, “वह नाबालिग नहीं थी। वह पढ़ी-लिखी है। ये गुंडागर्दी है। पुलिस का काम नहीं है।”
दिल्ली में गैर सरकारी संस्था ANHAD के दफ्तर से उसे जबरन ले जाने के ऐक्शन को कोर्ट ने अनुचित बताया। कहा कि युवती को लोकल मजिस्ट्रेस्ट के यहां पेश करने के लिए सही कदम उठाया जाना चाहिए था।
लड़की ने कोर्ट को बताया, जब उसने चाचा और पुलिस अफसरों को बुधवार को देखा था, तब वह डर के मारे इलाके से भागने लगी थी। अचानक एक पुलिस वाले ने जबरन उसे कार में धकेला। पीड़िता का आरोप है कि पुलिस वाला बाहें खोलता हुआ उसकी ओर आया था और तब वह वर्दी में नहीं था। फोन भी छीन लिया गया था और ढोलपुर जाते वक्त पुलिस वालों ने शराब भी पी थी।