किसान नेता राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि आंदोलन लंबे समय तक जारी रखना पड़ेगा, तभी सरकार पर कोई असर पड़ेगा। टिकैत का कहना था कि सरकार बहुत बेढब है। इतने किसान शहीद हो गए, लेकिन इसके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

टिकैत आज आंदोलन की जगह पर गन्ने का रस निकालते भी दिखे। उनका कहना है कि आंदोलन को लेकर नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है। वो आंदोलन को किसी भी सूरत में कमजोर होने नहीं देना चाहते हैं, इसलिए, उनकी रणनीति में लगातार बदलाव हो रहा है। उनका कहना है कि किसान तब तक अपने घर नहीं लौटेगा जब तक तीनों कृषि बिल वापस नहीं हो जाते और एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता।

उधर,यूनियनों के नेता किसानों से दिल्ली-बॉर्डर लौटने की अपील कर रहे हैं। ध्यान रहे कि दिल्ली की सीमाओं पर करीब तीन महीने से डेरा डाले किसानों के नेता बीते एक पखवाड़े से किसान महापंचायतों के जरिए अपने पक्ष में किसानों का समर्थन हासिल करने में जुटे थे। इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी के बॉर्डर स्थित धरना स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या घटती चली गई।

उधर, किसान आंदोलन से बीजेपी में बेचैनी दिखने लगी है। पार्टी के रणनीतिकारों को इस बात का अंदेशा है कि कहीं यह आंदोलन जाट बनाम अन्य का न हो जाए? यदि ऐसा हुआ तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बाहुल्य मतदाताओं वाली 19 जिलों की 55 विधानसभा सीटें पार्टी के लिए चुनौती बन सकती हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार से दमदार वापसी का प्लान बनी रही योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

इसे देखते हुए पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह पूर्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत हरियाणा के 40 जाट नेताओं को दिल्ली बुलाकर मंत्रणा की। उनसे स्पष्ट कहा कि अब वे घर न बैठें। सड़क पर उतरें और खाप पंचायतों के बीच जाकर किसान कानून के पक्ष में माहौल बनाकर जाट मतदाताओं को छिटकने से रोकने का प्रयास करें। प. यूपी में जाटों को साधने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंजत्री संजीव बालियान को दी गई है। 2019 में बालियान दिग्गज जाट नेता अजित सिंह को पटखनी दे चुके हैं।