Supreme Court Senior Lawyer Kapil Sibal: सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शुक्रवार को रिटायर हो गईं। उन्होंने साढ़े तीन साल तक सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्य किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके लिए विदाई पार्टी का भी आयोजन नहीं किया। इसके लेकर सीजेआई बीआर गवई ने एससीबीए की आलोचना भी की। वहीं उनकी विदाई के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चीफ कपिल सिब्बल और उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव मौजूद थीं। इस दौरान कपिल सिब्बल ने एक पुराने केस का जिक्र करते हुए जस्टिस त्रिवेदी की तारीफ की।
कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कोर्ट से सितारों से भरा रहा है और उनमें से एक आप हैं। उन्होंने कहा कि आप इस कोर्ट की 11वीं महिला जज हैं। बीते 75 साल में हर साल साल में एक महिला की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई है। आपके लिए यहां तक पहुंचना बहुत बड़ी उपलब्धि हैं।
सिब्बल ने एक केस को याद करते हुए कहा कि UAPA के एक मामले में मैंने एक शख्स के ट्रांसफर के लिए याचिका फाइल की थी। मैं उसका ट्रांसफर कर्नाटक से केरल करवाना चाहता था। जस्टिस त्रिवेदी ने उस वक्त मेरी अर्जी को खारिज कर दिया था।
दिग्गज वकील ने कहा कि मुझे आपसे सहानुभूति की उम्मीद थी। तब मुझे जानती भी नहीं थीं। आपके यहां आने से पहले परिचय हुआ था। आपने जो कुछ भी किया है उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इस कोर्ट में कोई भी जज आम जनभावनाओं की आगे झुकता नहीं है।
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परंपरा के अनुसार, SCBA सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जजों के लिए विदाई समारोह आयोजित करता है। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी के मामले में एक असाधारण फैसला लिया गया, जो संभवत: बार निकाय से संबद्ध वकीलों के विरुद्ध गए कुछ फैसलों के कारण हुआ। नियमों के पालन में कठोर जज मानी जाने वाली जस्टिस त्रिवेदी ने जाली वकालतनामा का इस्तेमाल कर शीर्ष अदालत में कथित तौर पर फर्जी याचिका दायर करने के संबंध में कुछ वकीलों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
उन्होंने वकीलों के प्रति दया दिखाए जाने के बार के पदाधिकारियों के कई अनुरोध को खारिज कर दिया था। हाल ही में जस्टिस त्रिवेदी ने एक याचिका दायर करने में कथित कदाचार के लिए कुछ वकीलों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने आह्वान किया था और बाद में उनकी माफी स्वीकार करने से मना कर दिया था। सुनवाई के दौरान उन्होंने इस बात पर दुख जताया था कि कुछ बार पदाधिकारी उन पर साथी वकीलों के खिलाफ कठोर आदेश पारित न करने का दबाव बना रहे थे।
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