ये आतंकी एक घर में छिपे थे और बड़े हमले को अंजाम देने की कोशिश में थे। आतंकी अक्सर ऐसे अवसरों पर बड़े हमले को अंजाम देने की ताक में रहते हैं। शायद ही कोई हफ्ता ऐसा गुजरता हो जब सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच ऐसी मुठभेड़ों की खबर न आती हो। आतंकी आए दिन सुरक्षाबलों और निर्दोष नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।
जाहिर है, घाटी में अभी भी आतंकियों का मजबूत नेटवर्क है जिसे तोड़ पाना सेना के लिए चुनौती है। हालांकि जो तीन आतंकी मारे गए हैं, उनके परिजनों का कहना है कि उनके बच्चों का आतंकी संगठनों से कोई लेनादेना नहीं था और वे हमले को अंजाम देने नहीं, बल्कि कश्मीर विश्वविद्यालय में फॉर्म भरने जा रहे थे।
ऐसी घटनाएं भी सामने आती रही हैं जिनमें नौजवान जाने-अनजाने आतंकी संगठनों के बहकावे में आ जाते हैं और उनके परिवारों को इसकी भनक तक नहीं लगती। ताजा घटना में सेना का दावा है कि जिस मकान में आतंकी छिपे थे, वहां भारी मात्रा में हथियार भी मिले हैं।
दक्षिण कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और पुलवामा जिले आतंकियों के गढ़ हैं। सबसे ज्यादा मुठभेड़ें भी इन्हीं इलाकों में हो रही हैं। पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित कई आतंकी संगठन यहां काम कर रहे हैं। आतंकी संगठनों ने अपना विस्तार करने के लिए कश्मीर के ग्रामीण इलाकों को निशाना बनाया है और ये यहां के नौजवानों को डरा-धमाका कर या प्रलोभन देकर आतंकी गतिविधियों के तैयार करते रहते हैं।
यह काम लंबे समय से चल रहा है और सेना या किसी खुफिया एजेंसी से छिपा भी नहीं है। लेकिन आतंकियों का नेटवर्क इतना फैल चुका है कि इसके खात्मे में वक्त लग सकता है। यह भी कोई छिपी बात नहीं है कि आतंकी संगठनों को पाकिस्तान से भरपूर मदद मिल रही है और पाकिस्तान में बैठे सरगनाओं के इशारे पर बड़े हमलों को अंजाम दिया जा रहा है।
घाटी में ऐसे हमलों को अंजाम देने के पीछे मकसद लोगों में खौफ और दहशत पैदा करना है। कश्मीर घाटी में इस साल दो सौ से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं, जिनमें चालीस आतंकी पाकिस्तान से आए थे और बाकी स्थानीय स्तर पर काम करने वाले थे।
कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान कोई कसर नहीं छोड़ रहा। खासतौर से पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद तो उसकी बौखलाहट और बढ़ गई है। इसलिए अब उसका एकमात्र मकसद घाटी में अशांति पैदा करना है।
इसलिए घाटी में बड़ी संख्या में आतंकियों की घुसपैठ कराने और ड्रोन के जरिए हथियार पहुंचाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कुछ समय पहले वास्तविक नियंत्रण के पास एक सुरंग का भी पता चला था जिससे आतंकी भारतीय क्षेत्र में घुस रहे थे।
पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम तोड़ने की घटनाएं भी इस साल सबसे ज्यादा हुई हैं, पांच हजार से ज्यादा। कश्मीर में इस साल आंतकी संगठनों ने ज्यादा हमले इसलिए भी किए ताकि वहां कोई राजनीतिक प्रक्रिया शुरू न हो पाए।
लेकिन इस बार जिला विकास परिषद के चुनावों में जिस तरह से लोगों ने जोश दिखाया और मतदान किया, उससे भी आतंकी संगठन हताश हैं। इसी हताशा में वे सुरक्षाबलों और नागरिकों पर हमले कर रहे हैं। सुरक्षाबलों की मुस्तैदी और आतंकियों के खिलाफ व्यापक स्तर पर अभियान ही इसका इलाज है।