कुंभ मेले के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि कुंभ मेला पूरी परंपरा के साथ संपन्न होगा। राज्य सरकार पूरी तैयारी में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की अवधि चार महीने की बजाए करीब 48 दिन की हो सकती है।

हरिद्वार में अगले साल लगने वाले कुंभ मेले को लेकर उत्तराखंड की राज्य सरकार और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के बीच जबरदस्त तकरार चल रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की हरिद्वार के उपनगर कनखल में स्थित श्री पंचायती उदासीन अखाड़ा के परिसर में हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों के यह सख्त तेवर दिखाई दिए। अखाड़ा परिषद ने राज्य की भाजपा सरकार को अगले साल 2021 में होने वाले कुंभ मेले को 2010 में संपन्न हुए कुंभ मेले की तर्ज पर दिव्य व भव्य रूप से संपन्न कराने की मांग की है।

हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में मौजूद कुंभ मेला अधिकारी के मार्फत राज्य के मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा गया है। इस पत्र में अखाड़ा परिषद ने कुंभ को परंपरागत रूप से संपन्न कराने के लिए भूमि आबंटन करने व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। पत्र में परिषद ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर साल होने वाला माघ मेला भव्य रूप से संपन्न कराया जा रहा है। माघ मेले की व्यवस्थाएं देखने के लिए अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी प्रयागराज जा रहे हैं। अखाड़ा परिषद की ओर से मुख्यमंत्री व मेला प्रशासन से जुड़े अधिकारियों को भी प्रयागराज चलकर माघ मेले की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने का न्योता दिया गया है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि जिस प्रकार कुंभ मेले के दौरान संतों के शिविर लगते रहे हैं उसी प्रकार के शिविर भी लगाए जाएंगे। कुंभ पूरी भव्यता के साथ संपन्न कराया जाएगा। सरकार व मेला प्रशासन शिविरों के लिए भूमि आबंटन व सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्काल काम शुरू करे।

अखाड़ा परिषद ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार अखाड़ों का सहयोग नहीं करती है तो अगले साल चार जनवरी के बाद अखाड़े अपने स्तर पर कुंभ की सभी तैयारियां शुरू कर देंगे। अपने खर्च पर शिविरों के लिए भूमि का समतलीकरण, पेयजल, विद्युत, सीवर आदि तमाम व्यवस्थाएं करेंगे। जिन्हें मेला संपन्न होने के बाद जनहित में उपयोग के लिए छोड़ दिया जाएगा। बीस फरवरी के बाद यदि कोरोना बढ़ता है तो केंद्र और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा।

उधर दूसरी ओर बैरागी अखाड़े राज्य सरकार से बुरी तरह नाराज हैं और उन्होंने राज्य सरकार पर बैरागी संतों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। बैरागी संप्रदाय के श्रीमहंत धर्मदास महाराज और श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि वैष्णव संत होटल या धर्मशालाओं में रहकर कुंभ स्नान नहीं करेंगे। हमेशा की तरह बैरागी कैंप में ही देश भर से आने वाले वैष्णव संतों के शिविर स्थापित किए जाएंगे। महंत गौरी शंकरदास महाराज एवं महंत रामशरणदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में वैरागी संत बैरागी कैंप क्षेत्र में आगमन करते हैं।