बीजेपी नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी राम सेतु का जीर्णोद्धार कराना चाहते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करवाने के लिए लगातार केंद्र सरकार से मांग करते रहते हैं। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी लगाई है, जिसपर 26 जुलाई को सुनवाई होगी। वहीं अब सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया है कि वह क्यों रामसेतु का जीर्णोद्धार करवाना चाहते हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर बताया कि रामसेतु की लव स्टोरी की कहानी ताज महल से भी पुरानी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “मेरे परिचित एक नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल का दौरा करने के बाद मुझसे मुलाकात की और हमारी बातचीत में मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु को बहाल करने के लिए क्यों उत्सुक हूं। मैंने उनसे कहा कि राम सेतु ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी है। तब मैंने पूछा कि वे पहले राम सेतु क्यों नहीं गए?”

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि सरकार ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। उनका दावा है कि रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की मांग पर संबंधित विभाग के केन्द्रीय मंत्री की ओर से 2017 में एक बैठक बुलाई गई थी। लेकिन उसके बाद इस मामले पर कुछ नहीं हुआ।

एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में ‘सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना’ शुरू हुई थी और स्वामी ने इसका विरोध किया था। इसके विरोध में स्वामी ने जनहित याचिका दायर की थी और इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की थी।

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A newly wed couple known to me met me after visiting Taj Mahal and in the course our conversation asked me why was I keen to restore Ram Setu. I told them that the Ram Setu is a much older story of love than Taj Mahal. So I asked why did they not visit Ram Setu first?
– Dr Subramanian Swamy (@swamy39) 25 July 2022

रामसेतु तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित पंबन और मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर पर बनी एक श्रृंखला है। सुब्रमण्यम स्वामी दावा करते हैं कि वह इस मामले में पहला दौर जीत चुके हैं।

वहीं परियोजना पर विवाद के बाद केंद्र सरकार ने राम सेतु पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजा और राम सेतु के बारे में कहा है कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए प्रस्तावित सेतुसमुद्रम परियोजना शुरू की गई है। इसके लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। सरकार ने कहा है कि परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता तलाशेगी।