लखीमपुर खीरी हिंसा से चर्चा में आए गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। ऐसे में लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर मंत्री के अपराधों की डोर कहां तक जाती है। मंगलवार को खीरी मामले में एसआइटी ने जो जांच रिपोर्ट बनाई है, उसमें मंत्री के बेटे आशीष मिश्र पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिस पर पत्रकारों ने उनसे बात करना चाहा तो वे धमकी देते हुए बुरी तरह भड़क गए और बदसलूकी भी की। इसके चलते टेनी की आपराधिक छवि पर चर्चा तेज हो गई है।

टेनी की आपराधिक डोर बहुत लंबी है, 1990 में ही इन पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ, 1996 में हिस्ट्रीशीटर घोषित किए गए, जिसकी नोटिस बाद में रद्द हो गई। वहीं 2000 में हत्या मामले में इन पर मुकदमा हुआ, जिस पर ये निचली अदालत से बरी हो गए मगर मामला अभी उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसकी वजह से इनकी आम छवि अपराधी की रही है। लखीमपुर की घटना के बाद से इन पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चुनावी नफा-नुकसान को देखते हुए इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है।

कहा जा रहा है कि अगर सरकार इनको हटाती है तो किसानों की नाराजगी कम जरूर होगी, लेकिन विपक्ष चुनाव के दौरान यह कहते हुए हावी हो जाएगा कि सरकार ने देर से एक्शन देर से लिया। दूसरी तरफ अगर सरकार हटाती है तो विपक्ष कमजोर जरूर होगा, लेकिन ब्राह्मण वोट जरूर नाराज होगा। हटाने पर सरकार जीरो टॉलरेंस नीति का प्रचार करेगी, लेकिन लखीमपुर कांड में गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग भी जोर पकड़ेगी।

लखीमपुर हिंसा से कुछ दिन पहले ही लखीमपुर के सम्पूर्णानगर में हुई एक बैठक में मंत्री टेनी किसान आंदोलन के प्रति बेहद कठोर दिखे। टेनी किसानों को धमकाते हुए कहते हैं कि ‘सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे, केवल दो मिनट लगेंगे। मैं केवल मंत्री, सांसद, विधायक नहीं हूं, जो लोग मेरे मंत्री बनने से पहले के बारे में जानते हैं उनसे पूछ लो कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं। जिस दिन ये चुनौती मैं स्वीकार कर लूंगा तो तुम लोगों को पलियां ही नही बल्कि लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा’।

बहरहाल टेनी का इतिहास सबके सामने है और लखीमपुर मामला टेनी पर भारी पड़ता दिख रहा है। फिर भी भाजपा का अपराध और अपराधों के प्रति सख्ती का रवैया कुछ साफ नहीं हो रहा। मोदी के मंत्रिमंडल में टेनी अब भी बने हुए हैं, जबकि बुधार को पत्रकारों के साथ उनकी बदसलूकी मीडिया में वायरल हो चुकी है। सूत्रों का मानना है कि मोदी ने इस पूरे प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, मगर वे किसी को माफ नहीं करते और संभवतः वे किसी सही समय का इंतजार कर रहे हों।