उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र के पुनर्विकास की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है। यहां की वास्तुकला में महाकवि कालिदास की झलक मिलेगी।

महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे इस जगह साकार किया गया है।856 करोड़ रुपए की महाकालेश्वर मंदिर गलियारा विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पहले चरण में महाकाल लोक को 316 करोड़ रुपए में विकसित किया गया है।

देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित है और यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है तथा रास्ते में मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं।

महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ बनाए गए हैं, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। भगवान शंकर की विशाल प्रतिमाओं से सजा यह नजारा श्रद्धालुओं को महाकाल लोक की पवित्र परिक्रमा कराएगा। यहां कहीं शांत मुद्रा में खड़ी प्रतिमाएं मन में आस्था के दीप प्रज्वलित करती सी लगती हैं, तो कहीं महादेव राक्षसों का संहार करते हुए रौद्र रूप में नजर आ रहे हैं। शायद यह भगवान और भक्त के बीच मौन का ऐसा संवाद होगा, जहां भक्तों को भोले के दर्शन से आत्मिक संतुष्टि मिलेगी।

कई साल की मेहनत के बाद इस गलियारे को स्वर्ग की तरह मोहक बनाने की जो कोशिश की गई है और यह परिकल्पना महाकाल के भव्य परिसर को देख कर साकार होती नजर आती है। यहीं भगवान शिव, शक्ति और अन्य धार्मिक घटनाओं से संबंधित यहां भैरव, गणेश जी और अन्य देवताओं की लगभग दो सौ प्रतिमाएं सुशोभित नजर आती हैं, जो अनायास ही न सिर्फ ध्यान खींचती हैं, बल्कि आस्था के गहरे सागर में भी ले जाती हैं, जहां भक्त अपने भगवान के बेहद निकट होने का अनुभव करते हैं।

यहां की दीवार पर जहां शिवपुराण की कथाओं को उकेरा गया है, तो वहीं भोलेनाथ के विवाह के मनोरम दृश्य भी इन पर नजर आते हैं। यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है और रास्ते में कई मनोरम दृश्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इसमें फव्वारों सहित शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक चित्रों की एक शृंखला भी बनाई गई है।

इसके निर्माण में प्राचीन मंदिर वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है। इसकी एक विशेषता यह है कि इसे सुंदरता और आस्था के सम्मिलित सांचे में ढालने के लिए कालिदास अकादमी और संस्कृत अकादमी के विशेषज्ञों के साथ ही श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के कुछ पुजारियों को भी इसके डिजाइन में मदद करने के लिए साथ लिया गया।

अब श्रेय लेने के लिए मची होड़

मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने दावा किया कि उज्जैन में प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के विकास और विस्तार की योजना 2019 में कमलनाथ नीत तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बनाई थी, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने इस दावे को खारिज कर दिया है। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डाक्टर गोविंद सिंह ने सोमवार को दावा किया कि महाकाल मंदिर के विकास और विस्तार की योजना अगस्त 2019 में कमलनाथ नीत तत्कालीन शासन के दौरान तैयार की गई थी।

उन्होंने कहा कि 300 करोड़ रुपए की इस योजना का विस्तृत ब्योरा महाकाल मंदिर के पुजारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों के सम्मुख रखा गया था और इसे तेजी से पूरा करने के लक्ष्य से मंत्रियों की एक त्रिस्तरीय समिति भी गठित की गई थी। वहीं, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस दावे को खारिज करते हुए मंगलवार को मीडिया से कहा, ‘कमलनाथ को झूठ बोलने का शगल है।

उनसे प्रार्थना है कि कम से कम भगवान भोलेनाथ को, महाकाल को तो बख्श देते।’ उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर के विकास का प्रस्ताव 2017 में तैयार किया गया था और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में एक साल में तैयार की गई थी। मिश्रा ने दावा किया कि 2018 में चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए इसके लिए निविदाएं जारी की गई थीं।

इसके बाद प्रदेश में नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद 18 दिसंबर 2018 को कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मिश्रा ने कहा, ‘उनके (कांग्रेस) शासनकाल में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।’ उन्होंने बताया कि कमलनाथ की सरकार 23 मार्च 2020 को गिरने के बाद चौहान फिर से सत्ता में आए तब इसे पुन: विस्तारित किया और 856 करोड़ का इसका प्रस्ताव बना। पहले चरण पर 351 करोड़ की लागत आई है।