चुनाव आयोग (EC) ने कानून मंत्रालय को ‘एक व्यक्ति-एक सीट’ का प्रस्ताव भेजा है। काफी समय से कानून मंत्रालय की EC के साथ इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है। वहीं नए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक बार फिर इस पर जोर दिया है और चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा है। बता दें कि 2004 में भी चुनाव आयोग ने ऐसा प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इसपर अभी तक कानून मंत्रालय ने कोई निर्णय नहीं किया है। यानी प्रस्ताव लंबित है।
वहीं 18 साल बाद एक बार फिर से नए सिरे से इस प्रस्ताव को कानून मंत्रालय के पास भेजा गया है। इस प्रस्ताव को नए सिरे से तैयार किया गया है और फिर इसे मंत्रालय में भेजा गया है। बता दें कि ‘एक व्यक्ति एक सीट’ नियम लागू करने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) में बदलाव करना होगा। वर्तमान में जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 33 (7) में मौजूद नियमों के अनुसार एक व्यक्ति दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है।
2004 में चुनाव आयोग ने तर्क दिया था कि जब एक व्यक्ति दो सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों पर जीत जाता है तो फिर एक सीट पर उपचुनाव कराना होता है और इसमें खर्च आता है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने सीट छोड़ने वाले उम्मीदवार को सरकार के खाते में एक निश्चित रकम जमा करवाने की अपील भी की थी, ताकि सरकार के पैसे का दुरुपयोग न हो।
वहीं ‘एक व्यक्ति एक सीट’ के प्रस्ताव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनाव आयोग ने समर्थन किया था। दरअसल बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दाखिल की थी और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को चुनौती दिया था। उनकी मांग थी कि संसद या विधानसभा सहित सभी स्तरों पर प्रत्याशी को सिर्फ एक ही सीट पर चुनाव लड़ने का अधिकार मिले।
बता दें कि इसी वर्ष गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हैं और चुनाव आयोग ने तैयारियों का जायजा भी ले लिया है। इसी महीने के अंत में चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा भी कर सकता है।
