सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जब बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के तौर पर पहली बार शपथ ली थी तो उनके चीफ जस्टिस ने उनको गार्ड बाबू बताया था। सीजेआई ने बताया कि उनके तब के चीफ जस्टिस मूलरूप से पटना हाईकोर्ट से थे। चंद्रचूड़ जज बने तो उन्होंने उनको अनोखी संज्ञा दी थी।
चंद्रचूड़ ने तफसील से बताया कि दरअसल जब वो पहली बार जज बने तो बॉम्बे हाईकोर्ट में उस वक्त 42 जज थे। उनका नंबर आखिरी था। चंद्रचूड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सबसे आखिर में नियुक्त होने वाले जज को गार्ड बाबू कहा जाता है। सीजेआई ने मजाकिया लहजे में कहा कि हमारे पास सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सात गार्ड बाबू हैं। लेकिन वो उनको इस कैटेगरी में ज्यादा दिनों तक नहीं रहने देंगे। उनका कहना था कि कॉलेजियम के जरिये सुप्रीम कोर्ट में रिक्त हर पद को भरा जाएगा। नए जज आ जाएंगे तो फिर ये सात जस्टिस गार्ड बाबू की श्रेणी से निकल जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों को भरना सीजेआई के लिए एक मिशन
SCBA के एक समारोह में सीजेआई ने कहा कि वो सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट अपनी पूरी क्षमता से काम करे। यानि जजों का कोई भी पद बेवजह खाली न रहने पाए। अक्सर सुप्रीम कोर्ट में जजों की पूरी नियुक्तियां नहीं हो पाती। लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों को भरना उनके लिए एक मिशन की तरह से है। वो इसमें कोई समझौता नहीं करने जा रहे हैं।
सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अभी तक सारी चीजें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के इर्द गिर्द घूमती रही हैं। लेकिन उनका मानना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि चीफ जस्टिस अपने साथी जजों का एक बेहतरीन दोस्त होता है। उन्होंने एक लैटिन शब्द का इस्तेमाल कर बताया कि चीफ जस्टिस सभी जजों में सबसे पहला होता है। उनका कहना था कि इस प्रथा का अंत होना चाहिए। उन्हें ये पता है कि कैसे उनके साथी आधी रात के दौरान अपना तेल फूंककर सुनिश्चित करते हैं कि स्पेशल लीव पटीशन खारिज न करके सही तरीके से निपटा दी जाए।
साथी जजों का जिक्र कर बोले चंद्रचूड़- सुप्रीम कोर्ट सीजेआई की निजी जागीर नहीं
उनका कहना था कि वो एक चीज को लंबे अरसे से महसूस कर रहे हैं कि जब जज किसी हाईकोर्ट में होते हैं तो उनके सामने तमाम तरह की चीजें पेश आती हैं। वो इसके आधार पर अनुभवी होते जाते हैं। उनके पास एक बेहतरीन अनुभव होता हैं वहां का। लेकिन जब वो सुप्रीम कोर्ट में आते हैं तो केवल अपने काम से बंधकर रह जाते हैं। जो कुछ उन्होंने हाईकोर्ट से सीखा होता है उसका इस्तेमाल वो यहां पर नहीं करते। ऐसा नहीं होना चाहिए। सीजेआई का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कोई निजी जागीर नहीं है। जजों को ये बात अपने जहन में रखनी चाहिए।