भले ही चुनावी-राज्य कर्नाटक में ‘अमूल बनाम नंदिनी’ की लड़ाई तूल पकड़ने लगी है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस ‘कारपोरेट युद्ध’ के केंद्र में कन्नाडिगा गौरव और घरेलू ब्रांड पर निर्भर अर्थव्यवस्था है तथा राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से कदम बढ़ाने होंगे, क्योंकि इस मुद्दे ने सप्ताहांत में जितनी सुर्खियां बटोरी हैं, उससे ज्यादा यह आने वाले दिनों में राजनीतिक आख्यान पर हावी हो सकता है।

क्या है ‘अमूल बनाम नंदिनी’ की लड़ाई?

गुजरात डेयरी ‘अमूल’ ब्रांड के दूध और दही के बंगलुरु में प्रवेश पर विपक्ष नाराज क्यों हैं? गुजरात स्थित अमूल डेयरी के अपने दूध और दही ब्रांड के साथ कर्नाटक के बाजार में प्रवेश की पांच अप्रैल को हुई घोषणा के बाद विपक्ष को सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने के लिए एक और हथियार मिल गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संबंध में एक महीने पहले घोषणा की थी। शाह सहकारिता मंत्रालय भी संभालते हैं।

राज्य में विधानसभा चुनाव महज एक माह दूर हैं और विपक्षी कांग्रेस और जनता दल (सेकु) ने सत्तारूढ़ भाजपा पर अपनी ‘बंदूकें तान’ दी हैं। इन दलों ने आशंका जताई है कि कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) की 21 हजार करोड़ रुपए की कंपनी ‘नंदिनी’ का विलय गुजरात की सहकारी कंपनी अमूल के साथ किया जा सकता है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा 49 साल पुरानी केएमएफ की नंदिनी का विलय आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (अमूल) में करना चाहती है, ताकि देश में ‘एक राष्ट्र, एक अमूल’ हो सके। हालांकि भाजपा ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा नंदिनी को ‘बेचना’ चाहती है। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। जद (सेकु) नेता कुमारस्वामी ने आरोप लगाया है कि अमूल की यह ‘खराब सोच’ है कि कर्नाटक में उसकी एकमात्र प्रतिद्वंद्वी कंपनी नंदिनी को समाप्त कर दिया जाए।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि अमूल के बारे में सरकार की स्पष्ट सोच है। उन्होंने कर्नाटक में अमूल की पैठ का राजनीतिकरण करने का कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘अमूल के संदर्भ में हम पूरी तरह स्पष्ट हैं। नंदिनी राष्ट्रीय ब्रांड है। यह कर्नाटक तक ही सिमटा नहीं है। हमने दूसरे राज्यों में भी नंदिनी को लोकप्रिय बनाया है।’

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्य में केएमएफ की कई प्रमुख डेयरी भाजपा शासन के दौरान स्थापित की गई हैं। जहां नंदिनी के टोंड दूध की कीमत 39 रुपये प्रति लीटर है, वहीं अमूल के टोंड दूध की प्रति लीटर कीमत 52 रुपए है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु :

  1. कर्नाटक में दूध और दही बेचने की अमूल की घोषणा क्यों बनी मुद्दा?
    पिछले दिसंबर में मांड्या में केएमएफ की मेगा डेयरी के उद्घाटन के दौरान अमित शाह ने कहा था, ‘अमूल और नंदिनी के बीच सहयोग डेयरी क्षेत्र में चमत्कार कर सकता है।’ विपक्ष ने इसे नंदिनी को गुजरात (अमूल) में मिलाने की योजना करार दिया, जिसे कर्नाटक की सत्तारूढ़ भाजपा ने खारिज कर दिया।
  2. क्या अमूल पहले कर्नाटक में काम नहीं कर रहा था?
    अमूल लंबे समय से राज्य में अपना मक्खन, घी, दही और आइसक्रीम बेच रहा था। सिर्फ अमूल ही नहीं, कुछ अन्य डेयरी ब्रांड भी हैं, जो पैकेज्ड दूध और दही बेचते हैं, जैसे- डोडला और हेरिटेज (तेलंगाना), तिरुमाला, अरोक्या और मिल्की मिस्ट (तमिलनाडु), नामधारी और अक्षयकल्प (कर्नाटक)।
  3. विपक्ष का डर क्या है?
    विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार नंदिनी के उत्पादों में कटौती करेगी, जिससे यह अमूल के लिए कम प्रतिस्पर्धी बन जाएगी और दूध तथा दही बेचने की अनुमति मिलने के बाद अमूल उत्पादों को खरीदने के लिए लोगों को मजबूर करेगी।
  4. भाजपा सरकार का बचाव क्या है?
    इसने आरोप खारिज करते हुए कहा है कि नंदिनी का अमूल में विलय करने की कोई योजना नहीं है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और जद (सेकु) लोगों को गुमराह करने और उनमें डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  5. क्या दुग्ध उत्पादन में कोई कमी आई है?
    केएमएफ की अनुषंगी इकाई बैंगलोर मिल्क यूनियन लिमिटेड (बामुल) ने स्वीकार किया है कि गर्मियों के कारण उत्पादन में गिरावट आई है और ऐसा हर साल होता है। दूध का उत्पादन 90 लाख लीटर प्रतिदिन से घटकर 75 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है।
  6. नंदिनी के कारोबार का आकार क्या है?
    बामुल के निदेशक पी. नागराजू के अनुसार, अमूल के बाद दूसरा सबसे बड़ा सहकारी संस्थान, नंदिनी केएमएफ का 21,000 करोड़ रुपए का ब्रांड है। नागराजू का कहना है कि अमूल प्रतिदिन 1.8 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन करता है, जबकि केएमएफ प्रतिदिन 90 लाख लीटर से अधिक का उत्पादन करता है।
  7. नंदिनी बाजार अग्रणी क्यों है?
    नागराजू का कहना है कि दूध की कीमतें प्रतिस्पर्धी हैं, और इसमें मिलावट नहीं है, जिसके कारण गुणवत्ता बेहतर है। इसमें दुग्ध उत्पादकों और दुग्ध संघ का अच्छा नेटवर्क है और उत्पादों को लेकर लोगों में गौरव का भाव है।
  8. केएमएफ कर्नाटक के अलावा और कहां अपने उत्पाद बेचता है?
    नंदिनी के उत्पाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बेचे जाते हैं। इसके कुछ उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है।
  9. अगर नंदिनी अपने उत्पादों को दूसरे राज्यों में बेच सकती है, तो अमूल के कर्नाटक में कारोबार करने में क्या गलत है?
  10. नागराजू के अनुसार, महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड (जिसे महानंद डेयरी के नाम से भी जाना जाता है) अमूल के बाजार में उतरने के बाद से अच्छा कारोबार नहीं कर रही है। इसी तरह, सहकारी दुग्ध संघों ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया।
  11. कर्नाटक में भाजपा के लिए इस विवाद से दूर रहना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
    जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था केएमएफ पर निर्भर है और कन्नड़ लोगों की भावनाएं नंदिनी ब्रांड से गहराई से जुड़ी हुई हैं, तो सत्तारूढ़ भाजपा के लिए 10 मई के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने और सत्ता बरकरार रखने के लिए उसका किसी विवाद में फंसना उचित नहीं है। कांग्रेस और जद (एस) इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जिसमें भाजपा की चुनावी संभावनाओं को तबाह करने की क्षमता है।