Supreme Court Justice Vikram Nath: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने शनिवार को कहा कि कानूनी बिरादरी में वे अपने काम के लिए जाने जाते हैं, लेकिन आवारा कुत्तों के मामले ने अब उन्हें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में पहचान दिलाई है। उन्होंने आवारा कुत्तों से संबंधित मामला उन्हें सौंपने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के प्रति आभार व्यक्त किया।
जस्टिस नाथ केरल में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। अपने संबोधन की शुरुआत हल्के-फुल्के अंदाज में करते हुए जस्टिस नाथ ने कहा, “अब तक, कानूनी बिरादरी में मुझे मेरे छोटे-मोटे कामों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन मैं उन आवारा कुत्तों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे न सिर्फ इस देश में, बल्कि दुनिया भर में, पूरे नागरिक समाज में पहचान दिलाई। मैं अपने मुख्य न्यायाधीश का आभारी हूं जिन्होंने मुझे यह मामला सौंपा।”
भारत के बाहर भी लोग मुझे जानते हैं- जस्टिस नाथ
लॉ एशिया पोला शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए जस्टिस नाथ ने कहा, “हम शिखर सम्मेलन में थे और वकीलों के प्रेसिडेंट्स भी वहां मौजूद थे। उन्होंने आवारा कुत्तों के मामले पर सवाल पूछने शुरू कर दिए। मुझे बहुत खुशी हुई भारत के बाहर भी लोग मुझे जानते हैं। इसलिए मुझे यह सम्मान देने के लिए मैं उनका आभारी हूं और मुझे ऐसे संदेश भी मिल रहे हैं कि डॉग लवर्स के अलावा, कुत्ते भी मुझे आशीर्वाद और शुभकामनाएं दे रहे हैं। इंसानों के आशीर्वाद और शुभकामनाओं के अलावा, उनकी शुभकामनाएं भी मुझे मिल रही हैं।”
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जस्टिस नाथ ने कहा कि सदियों से मनुष्य वन्यजीवों और प्रकृति के साथ रहते आए हैं। उन्होंने कहा, “पिछले दशकों में कहीं न कहीं हम इस लोकाचार से भटक गए हैं, इससे संघर्ष हुआ है। हमारे संविधान ने संघर्ष के समाधान खोजने की रूपरेखा तैयार की है।”
जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने क्या फैसला दिया?
आवारा कुत्तों से संबंधित मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली के नगर निगम अधिकारियों को आदेश दिया कि वे सभी क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को पकड़े और आठ हफ्ते के अंदर उनके लिए शेल्टर होम बनाएं। डॉग लवर्स के विरोध प्रदर्शन के बाद जस्टिस नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया। तीन जजों की बेंच ने 22 अगस्त को 11 अगस्त के आदेश में संसोधन किया। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने आदेश दिया कि टीकाकरण और नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों को उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया है।
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