जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के मोबाइल फोन में ‘calculator’ की एक नई एप पाई गई है, जो कि उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बैठे आकाओं से बात करने में मदद करती है। यह एप आर्मी के टेक्निकल सर्विलांस की पकड़ में नहीं आती।
इस साल PoK से घुसपैठियों की संख्या बढ़ी है, जिससे सेना को पता चला कि आतंकवादी अपने साथ एक फोन रखते हैं जिसमें कोई मैसेज नहीं होता। आर्मी की सिग्नल यूनिट जो कि घुसपैठ कर रहे आतंकियों को ट्रेस करने के लिए मुख्य रूप से टेक्िनकल इंटरसेप्ट जैसे वायरलेस और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती है, अब नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकवादियों की इस प्रणाली का तोड़ ढूंढ़ने में लगी है।
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इस तकनीक का पहली बार इस्तेमाल एक अमेरिकन कंपनी ने हरिकेन ‘कटरीना’ के वक्त किया था ताकि प्रभावित नागरिक एक-दूसरे के संपर्क में रह सकें। लश्कर-ए-तैयबा के कुछ आतंकियों से पूछताछ के दौरान एजेंसियों को यह पता चला कि आतंकी संगठन ने इस तकनीक को तोड़-मरोड़ कर एक एप्लिकेशन ‘calculator’ तैयार की है जो कि सिर्फ उन्हीं के लिए बताए गए ऑफ-एयर नेटवर्क से जुड़े स्मार्टफोंस पर डाउनलोड की जा सकती है।
पिछले साल जम्मू और कश्मीर के बॉर्डर से 121 बार घुसपैठ की कोशिश हुई थी जिनमें से 33 सफल रहे थे। 2014 में 222 में से 65 घुसपैठिये भारत में घुसने में कामयाब हो गए थे।