जम्मू कश्मीर के राजौरी में हुए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है। आतंकवादियों ने सोशल मीडिया पर हमले वाली जगह की तस्वीरें भी जारी कीं, जिसमें उनके द्वारा अमेरिकन मेड M4 कार्बाइन राइफलों का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है।

M4 कार्बाइन राइफल 1980 के दशक के दौरान अमेरिका में निर्मित एक हल्की और गैस-संचालित गन है। यह अमेरिकी सशस्त्र बलों का प्रमुख हथियार है और इसका इस्तेमाल 80 से अधिक देश करते हैं। M4 को नज़दीकी लड़ाई के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह बहुत ही मारक है। यह अलग प्रकार की युद्ध स्थितियों के लिए सटीक, विश्वसनीय और उपयुक्त भी है। इसलिए इसका उपयोग सैन्यकर्मी करते हैं।

हमलों में बरामद एम4 राइफलें

यह पहली बार नहीं है जब कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा M4 कार्बाइन राइफल का इस्तेमाल किया गया है। 2016 के बाद से सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) आतंकवादियों के पास से स्टील की गोलियों के साथ चार M4 राइफलें बरामद की हैं। स्टील की गोलियां अधिक नुकसान पहुंचाती हैं और वाहनों और अन्य सुरक्षा साधनों को आसानी से भेद सकती हैं।

PAFF: JeM का नया नाम?

सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि PAFF जैश-ए-मोहम्मद के लिए एक नया मोर्चा हो सकता है। इसे 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI द्वारा स्थापित किया गया था। PAFF ने हाल के महीनों में जम्मू-कश्मीर में हर बड़े आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है। खुफिया जानकारी से पता चलता है कि आईएसआई ने दूरदराज और अलग-थलग इलाकों में सुरक्षा बलों पर लक्षित हमले करने के लिए राजौरी और पुंछ जिलों में हाइली ट्रेंड आतंकवादियों की घुसपैठ कराई है। सूत्रों ने कहा कि इन सावधानीपूर्वक हमलों को ओवर ग्राउंड वर्कर्स और एजेंटों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये आतंकवादी अपने हमलों को रिकॉर्ड करने के लिए प्रशिक्षित सैनिकों के समान हेलमेट कैमरों का उपयोग कर सकते हैं। इससे यह चिंता पैदा हो गई है कि वे प्रचार प्रसार के लिए इन हमलों के फुटेज का उपयोग कर सकते हैं।