यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे टेरी के विवादित प्रमुख आरके पचौरी को गुरुवार को पद से बर्खास्त कर दिया गया। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) की संचालन परिषद की बैठक में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीआइआइ) के महानिदेशक अजय माथुर को इसका नया महानिदेशक नियुक्त करने का फैसला किया गया। माथुर ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीआइआइ) के महानिदेशक थे।

टेरी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि बंगलुरु में टेरी की संचालन परिषद की बैठक में अजय माथुर (74) को टेरी का नया निदेशक नियुक्त करने का फैसला किया गया। सरकार की ओर से दी गई मौजूदा जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद जितना जल्दी संभव होगा माथुर इस पद को संभाल लेंगे।

इस साल 13 फरवरी को 74 वर्षीय पचौरी के खिलाफ टेरी की एक कनिष्ठ सहयोगी की ओर से लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दिल्ली की एक अदालत ने पचौरी की अग्रिम जमानत मंजूर की थी। इससे पहले 26 फरवरी को अदालत ने पचौरी पर टेरी कार्यालय में प्रवेश करने और इसके अधिकारियों से संपर्क करने पर रोक लगाई थी। अदालत ने उनसे देश छोड़कर नहीं जाने के लिए कहा था और उन्हें गिरफ्तारी से 27 मार्च तक अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को पचौरी को गुड़गांव प्रधान कार्यालय और एक शाखा को छोड़कर कार्यालय के परिसर में जाने की अनुमति दी थी।

हालांकि महिलाओं और कानूनी कार्यकर्ताओं ने इस फैसले में हुई ‘देरी’ की निंदा करते हुए संचालन परिषद पर निशाना साधा। पचौरी ने महिला की शिकायत के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता संयुक्त राष्ट्र अंतरसरकार जलवायु परिवर्तन पैनल (आइपीसीसी) का अध्यक्ष पद छोड़ा था। पीड़िता का आरोप है कि पचौरी ने उसे अनुचित ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप संदेश भेजे। हालांकि पचौरी ने इन आरोपों से इनकार किया है।

संचालन परिषद में शामिल में शामिल किरन मजूमदार शा ने बैठक के बाद कहा- पचौरी पद पर नहीं रहेंगे… टेरी के लंबी अवधि के हित सर्वोपरि हैं। इस परिषद में एचडीएफसी के बोर्ड के प्रमुख दीपक पारेख, बैंकर नैनालाल किदवई, वरिष्ठ निवेश बैंकर हेमेंद्र कोठारी और शैलेश नाइक शामिल हैं।

टेरी के बयान में कहा गया कि संचालन परिषद ने इस सवाल पर भी विचार किया कि कथित यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर टेरी की आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट पर क्या कदम उठाया जा सकता है। बयान में कहा गया कि इस रिपोर्ट पर कार्रवाई पर अदालत ने रोक लगा दी थी और फैसला सुनाया कि आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगी रहेगी।

बयान में कहा गया कि 29 मई, 2015 के फैसले में यह भी कहा गया कि इस समिति ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का बिल्कुल पालन नहीं किया जो नियमों के खिलाफ है। टेरी की संचालन परिषद सभी अदालती कार्यवाहियों का सम्मान करती है और उसके निर्देश का पालन करती है।