तेलुगु बोलने वाले राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सत्ता के समीकरण बदले हैं। इन समीकरणों के साथ ही, आंंध्र और तेलंगाना के बड़े राजनीतिक घरानों की ‘बेटियां’ अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हालांकि इन दोनों ही बेटियों के बीच एक समान वजह है – अपनी पार्टियों और राज्य की राजनीति में ‘घुटन’ महसूस करना।
तेलंगाना में बुधवार को भारत राष्ट्र समिति (BRS) की एमएलसी के. कविता ने पार्टी छोड़ दी। इससे एक दिन पहले उन्हें ‘पार्टी-विरोधी गतिविधियों’ के आरोप में निलंबित किया गया था।इसकी वजह उनके द्वारा अपने चचेरे भाइयों पूर्व मंत्री टी. हरीश राव और पूर्व राज्यसभा सांसद जे. संतोष कुमार के खिलाफ की गई बयानबाजी थी।
इसी तरह पड़ोसी आंध्र प्रदेश में मंगलवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन (आंध्र कांग्रेस की अध्यक्ष) अपने पिता और आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. राजशेखर रेड्डी की 16वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नजर आए।
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जहां कविता ने अभी तक अपने आगे के राजनीतिक कदम के बारे में कुछ नहीं कहा है, वहीं शर्मिला के पास अब लगभग कोई राजनीतिक जगह नहीं बची है, क्योंकि पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (JSP), जो आंध्र में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और बीजेपी के साथ सरकार में है, कांग्रेस के सपोर्ट बेस को कमजोर कर रही है। वहीं, जगन को अपने पिता की विरासत का बिन किसी मुकाबले का वारिस माना जा रहा है।
2011 में वाईएसआरसीपी बनने के बाद से ही शर्मिला पार्टी का अहम हिस्सा रही हैं, लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव में जगन की बड़ी जीत के बाद जब उन्हें सरकार में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं दी गई, तो उन्होंने खुद को किनारे किया हुआ महसूस करना शुरू कर दिया।
भाई-बहन के बीच दूरी 2021 में और बढ़ी
भाई-बहन के बीच दूरी 2021 में और बढ़ गई, जब शर्मिला हैदराबाद में सामने आईं और अपनी मां वाई. एस. विजयलक्ष्मी के साथ मिलकर वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (YSRTP) शुरू की। लेकिन जब उनकी पार्टी को ज्यादा सफलता नहीं मिली, तो शर्मिला ने ऐलान किया कि वह 2023 तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेंगी और आखिरकार पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
आंध्र प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से ही शर्मिला लगातार कई मुद्दों पर जगन पर हमला करती रही हैं। पिछले साल उन्होंने कडप्पा लोकसभा चुनाव में अपने चचेरे भाई और वाईएसआरसीपी उम्मीदवार वाई. एस. अविनाश रेड्डी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। उन्होंने अविनाश पर अपने चाचा और कडप्पा के पूर्व सांसद वाई. एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या का आरोप लगाया है और जगन पर अविनाश को बचाने का भी इल्ज़ाम लगाया है।
जगन की हार के बाद और बढ़ा तनाव
पिछले साल विधानसभा चुनाव में जगन की हार के बाद वाईएसआर परिवार में तनाव और बढ़ गया है। शर्मिला ने अपने भाई पर आरोप लगाया है कि वह उनके परिवार की संपत्ति में उनके हक का हिस्सा छीनने की कोशिश कर रहे हैं।
तेलंगाना में कल्वकुंटला परिवार के भीतर भी ऐसा ही भाई-बहन का टकराव देखने को मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को पार्टी में घुटन महसूस होने लगी, खासकर जब उनका नाम कथित दिल्ली शराब घोटाले में सामने आया।
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कविता को मार्च पिछले साल इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था और उन्हें पांच महीने बाद ही जमानत मिल सकी। तब से वह तेलंगाना का दौरा कर रही हैं और तेलंगाना जागृति के बैनर तले बैठकें कर रही हैं, जो एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसे उन्होंने 2006 में शुरू किया था।
एक सूत्र के मुताबिक, “पिछले कुछ महीनों में पार्टी में उनकी (कविता की) अहमियत कम हो गई, जबकि हरीश राव और कुमार का प्रभाव बढ़ गया।”
बीआरएस परिवार में कब सामने आए मतभेद
बीआरएस के ‘फर्स्ट फैमिली’ के बीच की बेचैनी इस साल मई में सामने आई, जब केसीआर की पार्टी की एल्काथुर्ती बैठक में आखिरी सार्वजनिक मौजूदगी के एक महीने बाद, कविता का अपने पिता को लिखा हुआ एक पत्र ‘लीक’ हो गया। उस पत्र में उन्होंने कई मुद्दे उठाए थे। हालात तब और बिगड़ गए जब कुछ दिनों बाद कविता ने कहा कि उनकी जेल में रहने के दौरान बीआरएस और बीजेपी के बीच विलय को लेकर बातचीत हुई थी, और यह सब उनसे छुपाया गया।
सोमवार को हालात तब और बिगड़ गए, जब रेवंत रेड्डी की अगुवाई वाली तेलंगाना सरकार ने कलेश्वरम मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। इसके अगले ही दिन कविता ने हरीश राव और कुमार पर आरोप लगाया कि “मेरे पिता पर जांच करवाने के लिए वही जिम्मेदार हैं।”