BC Quota for Muslim Groups: तेलंगाना की कांग्रेस सरकार राज्य में मुस्लिम समुदाय की 14 पिछड़ी जातियों या समूहों को आरक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं के फायदे देने की योजना बना रही है। इन 14 मुस्लिम समूहों में शिया समुदाय के तीन लाख परिवार भी शामिल हैं।
तेलंगाना में आने वाले दिनों में इस रिपोर्ट को लेकर इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद देखने को मिल सकता है क्योंकि बीजेपी लगातार कांग्रेस शासित राज्यों में हिंदुओं का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देने का आरोप लगाती रही है।
क्या है ये पूरा मामला?
सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों की इन 14 जातियों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में एक अलग कैटेगरी BC (E) के तहत 4% का आरक्षण दिया गया था लेकिन इन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिल पाया था। इसके अलावा यह मामला कानूनी पचड़ों में भी फंस गया, जब इसे लेकर आरोप लगे कि यह धर्म के आधार पर दिया गया है। तेलंगाना सरकार के सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम समुदाय के लिए चार प्रतिशत आरक्षण को ढंग से लागू नहीं किया जा सका।
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SEEPC सर्वे से क्या पता चला?
रेवंत रेड्डी सरकार ने social, economic, educational, employment and political caste (SEEPC) सर्वे करवाया। इस साल फरवरी में सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि तेलंगाना में मुस्लिम समुदाय की कुल आबादी 12.58% है। इसमें 10.08% पिछड़ी जाति के मुसलमान और 2.5 % अन्य जातियों के मुसलमान हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी 12.69% थी।
सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि राज्य में BC की आबादी 56.33% है और इसमें मुस्लिम जातियां भी शामिल हैं। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर तेलंगाना की विधानसभा में इस साल मार्च में दो विधेयक पास किए गए। इसके तहत सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थाओं और शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकाय के चुनाव में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण को 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 42% किया गया।
इन दोनों विधेयकों को राज्यपाल के पास भेजा गया, जहां से इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास फ़ॉरवर्ड कर दिया गया।
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सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं 10.08% मुसलमान
तेलंगाना सरकार के SC/ST/OBC और अल्पसंख्यक कल्याण मामलों के सलाहकार मोहम्मद अली शब्बीर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, राज्य की लगभग 12.58% मुस्लिम आबादी में से 2.5% गरीबी रेखा से ऊपर हैं और उन्हें “अमीर” माना जा सकता है। बाकी 10.08% मुसलमान सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।
शब्बीर ने कहा कि रिपोर्ट में उन तीन लाख शिया परिवारों के बारे में बताया गया है जिनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सैय्यद, मुगल, पठान, अरब, कोज्जा मेमन, आगा खानी, बोहरा जैसे मुस्लिम समुदायों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला है और बीजेपी बेवजह मुद्दा बना रही है कि धर्म के आधार पर आरक्षण प्रस्तावित है।
शब्बीर ने कहा कि इन मुस्लिम जातियों को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर सरकारी मदद की जरूरत है। शब्बीर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जब भी मुस्लिम आरक्षण की बात होती है, कोर्ट या सरकार की ओर से आंकड़े मांगे जाते हैं। अब हमारे पास आंकड़े हैं, हर मुस्लिम समूह की जनसंख्या और बाकी चीजों की जानकारी है।”
शब्बीर ने बताया कि सरकार 14 मुस्लिम समूहों को भी वही फायदे और योजनाएं देने पर विचार कर रही है, जैसी योजनाएं वह राज्य में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए बना रही है।
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