तेलंगाना विधानसभा में आज मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के 14 विधायकों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने पर एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। इससे पहले पार्टी के कुछ विधायकों के पाला बदलने के मुद्दे पर कांग्रेस ने टीआरएस सरकार को बचाव की मुद्रा में आने पर मजबूर कर दिया।
दल बदल का मुद्दा विधानसभा में जोरशोर से उठा। कांग्रेस ने लगातार दूसरे दिन इस विषय पर कार्यस्थागन प्रस्ताव रखा और सरकार पर अलोकतांत्रिक एवं अनैतिक कार्य करने का आरोप लगाते हुए इस पर चर्चा कराने की मांग की।
दलबदल के मुद्दे पर अपना विरोध प्रकट कर रही कांग्रेस ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार सत्ता में बने रहने का हक गंवा चुकी है और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव दल बदल विरोधी कानून एवं संविधान का घोर उल्लंघन कर दल-बदल को खुलेआम बढ़ावा दे रहे हैं।
टीआरएस नये राज्य में दो जून को सत्ता में आई थी और पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी के कई विधायक सत्तारूढ़ टीआरएस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस ने आज भी इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया था। कल इसी मुद्दे पर सदन में बाधा पहुंची थी।
सत्तापक्ष ने दावा किया कि मामला अध्यक्ष के समक्ष लंबित है और उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार उस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
विपक्ष के नेता जना रेड्डी ने कहा, ‘‘जिस तरह से मुख्यमंत्री दल बदल (विपक्षी विधायकों को सत्तारूढ़ पार्टी में लाने) को बढ़ावा दे रहे हैं, उस पर हमने गंभीरता से संज्ञान लिया है। यह संविधान की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जवाबदेही है कि अनुच्छेद 10 (दल बदल विरोधी) को बरकरार रखें। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।’’
विधायी मामलों के मंत्री टी हरीश राव ने दावा किया कि यह मामला अध्यक्ष के समक्ष लंबित है और सदन में इसकी चर्चा नहीं हो सकती। इस पर जना रेड्डी ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि मुद्दा अध्यक्ष के सामने लंबित है। हम चाहते हैं कि वह शीघ्र फैसला करें।’’
उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक करार दिया। कांग्रेस के चर्चा पर अड़े रहने पर अध्यक्ष मधुसूदनचारी ने दो बार 10-10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की। बाद में उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया।