बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ लैंड फॉर जॉब केस (Land For Job Case) में दाखिल की गई सीबीआई की चार्जशीट पर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होनी है। सीबीआई ने 3 जुलाई को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। पहले इस मामले लालू यादव और राबड़ी देवी का नाम शामिल था लेकिन बाद में दाखिल की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम भी जोड़ा गया। चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम सामने आने के बाद से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई है। बिहार में विपक्ष ने इस मामले को लेकर उनका इस्तीफा मांगा है।

सुशील मोदी ने बोला हमला

चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम सामने आने के बाद विपक्ष लगातार उन पर हमलावर है। बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर भाजपा आक्रामक तेवर में है। इस मामले को लेकर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद ने गरीबों-पिछड़ों को गुमराह कर सत्ता पाई और इसका दुरुपयोग केवल सम्पत्ति बनाने में किया। उन्होंने कहा कि उनका परिवार देश के सर्वाधिक भ्रष्ट राजनीतिक परिवारों में है। इससे बिहार शर्मसार है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने न पढाई पूरी की, न कोई नौकरी की और न उनके माता-पिता के पास कोई पुश्तैनी सम्पत्ति थी। ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि वे 33 साल की उम्र में 52 बहुमूल्य सम्पत्ति के मालिक कैसे बन गए?

क्या है पूरा मामला

लैंड फॉर जॉब केस 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप यह है कि लालू प्रसाद ने पद पर रहते हुए परिवार को जमीन हस्तांतरित के बदले रेलवे में नौकरियां दिलवाईं। CBI ने यह भी आरोप लगाया है कि रेलवे में की गई भर्तियां भारतीय रेलवे के मानकों के दिशा निर्देशों के अनुरुप नहीं थीं। वहीं, दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित मकान संख्या D-1088 (एबी एक्सपोर्ट्स प्रा.लि.) के नाम रजिस्टर्ड है। सीबीआई के मुताबिक इस कंपनी के मालिक तेजस्वी प्रसाद यादव और उनका परिवार है। इस संपत्ति का आज बाजार मूल्य 150 करोड़ है। इसे खरीदने में मुंबई के जेम्स और ज्वेलरी के कारोबारियों ने पैसे लगाए। कागज पर यह कंपनी का ऑफिस है, लेकिन तेजस्वी इसे अपने घर की तरह इस्तेमाल करते हैं। तेजस्वी ने 9 नवंबर 2015 को इस कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था।