तीस्ता सीतलवाड़ के केस में गुजरात हाईकोर्ट ने फिर से अड़ियल रुख दिखाया है। केस खारिज करने की अर्जी पर हाईकोर्ट के जस्टिस ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि उनका केस लिस्ट में 230 नंबर पर लगा है। जस्टिस संदीप भट्ट का कहना था कि तुरंत सुनवाई का कोई मतलब ही नहीं है जब 2018 के मामले अभी भी लटके हुए हैं।
जस्टिस ने कहा कि आप कोर्ट की कार्यप्रणाली को जानती हैं। अगर आपका केस आज उन तक पहुंच जाता तो वो जरूर सुनवाई करते। लेकिन अब वो कोशिश कर सकते हैं जल्द से जल्द तारीख देने की। तीस्ता ने फर्जी साक्ष्य गढ़ने के केस को खारिज करने की अपील की थी। ये मामला गोधरा दंगों से जुड़ा है। आरोप है कि तीस्ता ने फर्जी साक्ष्य गढ़कर सरकार के कुछ बड़े लोगों को फंसाने की कोशिश की थी। इस मामले में सेशन कोर्ट तीस्ता के केस को खारिज करने से इनकार कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को बताया था विकृत
तीस्ता सीतलवाड़ केस में गुजरात हाईकोर्ट की खासी किरकिरी हुई थी। एक्टिविस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने ही गुजरात हाईकोर्ट में रेगुलर बेल के लिए याचिका लगाने को कहा था। तीस्ता ने रिट लगाई लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने उसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के जस्टिस निरजर देसाई ने अपने फैसले में लिखा कि तीस्ता की बेल देने से गुजरात में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण होने का अंदेशा है। रिट खारिज होने के बाद तीस्ता सुप्रीम कोर्ट गईं और रेगुलर बेल देने की अपील की। 19 जुलाई को टॉप कोर्ट ने एक्टिविस्ट को बेल देते हुए हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दीं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस का कहना था कि तीस्ता की बेल मामले में गुजरात हाईकोर्ट का फैसला एक विकृत सोच को दर्शाता है।
टॉप कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही एक्टिविस्ट हो गई थीं अरेस्ट
हालांकि तीस्ता को उस समय जेल की सींखचों के पीछे जाना पड़ा था जब सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 24 जून 2022 को एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी कर दी थी। एक दिन बाद ही उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था। फिर सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ही तीस्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा करते हुए कहा था कि रेगुलर बेल के लिए वो गुजरात हाईकोर्ट में रिट लगा सकती हैं।