2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की छवि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए ऐसी चमकाई गई कि वह केंद्र की सत्ता दिलाने में काफी मददगार साबित हुई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि भी इन दिनों देश के अंदर से लेकर बाहर तक चमकाई जा रही है। शायद यही वजह है कि हाल के कुछ सर्वें में उनकी लोकप्रियता में इजाफा होता हुआ दिखा है। राहुल की एक टीम आधिकारिक तौर पर हर मोर्चे पर कांग्रेस की कमान संभाल रही है जबकि एक टीम ऐसी है जो पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस और राहुल दोनों का मेकओवर करने में जुटी है ताकि 2018 का सियासी रण फतह किया जा सके।
दिव्या स्पंदन एक ऐसा नाम है जो पिछले कुछ दिनों से मीडिया में सुर्खियां बटोर चुका है। कन्नड़ फिल्मों की पूर्व अभिनेत्री दिव्या कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल की इंचार्ज हैं। वो विदेशों में राहुल गांधी के लिए इवेन्ट भी मैनेज करती हैं। गुजरात चुनावों में भी सोशल मीडिया पर दिव्या के आक्रामक चुनावी कैम्पेन और ‘विकास पागल हो गया’ सरीखे अभियान ने कांग्रेस की साख बढ़ाने और बीजेपी को 99 पर समेटने में कामयाबी हासिल की है।
कौशल के विद्यार्थी के बारे में कहा जाता है कि वो राहुल गांधी तक पहुंचने का गेटवे हैं। अगर किसी को राहुल से बात करनी है तो पहले कौशल से बात करनी होगी, उसके बाद ही कॉल राहुल तक ट्रांसफर हो सकेगा। सोशल मीडिया, डेटा और आईटी के खिलाड़ी कौशल विद्यार्थी राहुल गांधी को जनसभाओं को संबोधित करने में मदद करते हैं। उन पर इसकी जिम्मेदारी है कि राहुल चुनावी जनसभाओं में पब्लिक से कैसे कनेक्ट कर सकें। हालांकि, पिछले कई चुनाव हारने पर पार्टी के अंदर ही इनकी आलोचना हुई और कहा गया कि कम्प्यूटर से बाहर जमीनी धरातल की सच्चाई से वो कोसों दूर हैं।
अलंकार स्वामी राहुल गांधी के लिए रिसर्च और डॉक्यूमेंटेशन का काम देखते हैं। उन्हें कौशल विद्यार्थी का सहयोगी समझा जाता है। ये आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व कर्मचारी हैं। राहुल जब भी दिल्ली से बाहर जाते हैं, अलंकार उनके साथ होते हैं। दिव्या स्पंदन से पहले अलंकार स्वामी राहुल गांधी का सोशल मीडिया अकाउंट भी देखते थे।
विनीत पुनिया को पिछले ही साल कांग्रेस के कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में सचिव बनाया गया है। वो राहुल का मीडिया कवरेज देखते हैं। मीडिया प्लानिंग, मैनेजमेंट और पब्लिक रिलेशन इनकी जिम्मेदारी है। इससे पहले वो चंडीगढ़ प्रशासन में पीआरओ रह चुके हैं। साल 2010 से 2013 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के भी पीआरओ रहे हैं। 2013 से 2016 तक पंजाब यूनिवर्सिटी के पब्लिक रिलेशंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर रह चुके हैं। पुनिया मूलत: पत्रकार रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के करियर की शुरुआत की थी।
सचिन राव कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी और इंटरनेशनल बिजनेस में मिशिगन बिजनेस स्कूल से एमबीए हैं। यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के सांगठनिक संरचना का मैनेजमेंट देखते हैं। वो चुनाव आयोग से जुड़े मामले देखते हैं। साथ ही यह भी देखते हैं कि संगठन में किन-किन को तरक्की दी जानी चाहिए। वो राहुल गांधी को संगठन की शक्ति बढ़ाने और उसे चमकाने पर राहुल को सलाह देते हैं।
कनिष्क सिंह ने साल 2003 में शीला दीक्षित के चुनावी कैम्पेन के जरिए राजनीति में कदम रखा था। तब उन्होंने न्यूयॉर्क की बड़ी बैंकिंग फर्म की नौकरी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। साल 2004 में कनिष्क ने आउटलुक पत्रिका में एक आर्टिकल लिखा था कि सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीतेगी। उनकी इस भविष्यवाणी ने उन्हें गांधी परिवार का करीबी बना दिया। कनिष्क सिंह को जातिगत सामाजिक संरचना के मनोभावों को पढ़ने और खास-खास उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं का अनुमान लगाने का मास्टर समझा जाता है।
के बी बैजू एसपीजी में ऑफिसर रह चुके हैं। उन्होंने साल 2010 में नौकरी छोड़ दी थी और तब से वो राहुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं। बैजू ट्विटर पर भी उतने ही फुर्तीले दिखते हैं, जितना सुरक्षा के मोर्चे पर। वो अक्सर पीएम नरेंद्र मोदी या बीजेपी की तरफ से किए गए ट्वीट पर पलटवार करते हैं या उसकी लानत-मलानत करते हैं। देश के अंदर या विदेशी दौरों पर भी बैजू राहुल गांधी के साथ होते हैं और उनके लॉजिस्टिक के अलावा मीडिया को भी संभालते हैं।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों विदेश दौरे पर हैं। वहीं से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं। इसे कांग्रेस के चुनावी कैम्पेन के स्ट्रैटजी का हिस्सा माना जा रहा है।