Tamilnadu Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मोदी की गारंटी का उल्लेख करके जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके काफी पहले यह नारा तमिलनाडु में सामने आया था। गारंटी शब्द तमिलनाडु के पूर्व सीएम एमजी रामचंद्रन ने काफी पॉपुलर बना दिया था।
अन्नाद्रमुक के कद्दावर नेता को “न्यूनतम गारंटी रामचंद्रन” (Minimum Guarantee Ramchandran ) कहा जाता था। वे साउथ की फिल्म इंडस्ट्री छोड़ फुलटाइम राजनीतिक में चले गए थे और 1972 में DMK छोड़ अपनी नई पार्टी बनाई थी। एमजीआर को गारंटी नहीं देनी थी क्योंकि वह खुद गारंटी थे। उनकी उपस्थिति ही एक वादा थी।
दिसंबर 1987 में उनकी मृत्यु के बाद से, उनकी विरासत अन्नाद्रमुक की सबसे बड़ी संपत्ति बन गई है जिसे उन्होंने पीछे छोड़ दिया है। उनकी पत्नी जानकी ने सबसे पहले इस पर दावा किया और राज्य की पहली महिला सीएम के रूप में शपथ ली थी। उनकी पत्नी का कार्यकाल महज 24 दिनों तक चला और वह विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल हुईं थीं। गारंटी की राजनीति की विरासत की अगली दावेदार, जे जयललिता रही और एक बेहतरीन नेता साबित हुई।
बिखरती दिख रही जयाललिता की पार्टी
उन्होंने एमजीआर के बाद पार्टी पर एकछत्र अधिकार करके उसका विस्तार किया। और वे लंबे समय तक शासन में भी रहीं थी लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी के पास कोई वोट कैचिंग नेता नहीं बचा, जिसके चलते पार्टी अधर में अटक गई है। आज, जयललिता की मृत्यु के आठ साल बाद उनकी AIADMK की विरासत गंभीर विवादों में हैं। यह पार्टी दो धड़ो में बंटी नजर आती है।
एक तरफ आधिकारिक अन्नाद्रमुक एडप्पादी पलानीसामी के नेतृत्व वाले समूह से संबंधित है। फिलहाल इस मामले में हाई कोर्ट ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। दूसरी ओर जयललिता की विरासत पर ओ पनीरसेल्वम भी दावा कर रहे हैं। पार्टी के वर्चस्व को लेकर सियासी जंग जारी है।
जनता लेगी असली फैसला
इस चुनावी मौसम में सड़क पर उतरते हुए जयाललिता की विरासत के दावेदारों का कहना है कि अंतिम फैसला “जनता की अदालत” से आएगा। एएमएमके के टीटीवी दिनाकरन ओ पन्नीरसेल्वम के लिए प्रचार कर रहे हैं। जब भी जयललिता ने कानूनी मसलों में फंसी तो उनकी सीएम के तौर पर पसंद पन्नीरसेल्वम ही थे।
एक वक्त पार्टी ‘गांरटी’ के लिए पॉपुलर थी, लेकिन आज वह राज्य में संघर्ष करती नजर आ रही है। राज्य के राजनीतिक स्थान के लिए एक AIADMK एक जुआ बन गई है, जो पहले से भी अधिक भीड़भाड़ वाली हो गई है, क्योंकि इस ही राजनीतिक दल के कई दावेदार सामने आ गए हैं।