स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव का कहना है कि किसानों और सरकार के बीच वास्तविकता में वार्ता तो 11वें दौर से ही शुरू हुई। उससे पहले तो ‘पिंग-पॉन्ग’ हो रही थी। यादव ने कहा कि सरकार को वार्ता करनी है तो RSS-BJP के छुटभैये नेताओं से जो मारपीट करा रही है पहले उसे बंद कराए।
दरअसल, योगेंद्र यादव ने यह बात तब कही जब एंकर ने उनसे सवाल किया कि कानून संसद से बनता है सड़क से नहीं। किसान नेता जिस तरह से अड़े हुए हैं उसमें बात कैसे बनेगी। योगेंद्र ने कहा कि किसान अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए ही दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना था कि जिसे 11 दौर की वार्ता कहा जा रहा है, गंभीर बातचीत वहीं से शुरू हुई। किसान नेताओं के सामने सरकार की तरफ से पहली बार कोई प्रस्ताव तभी आया।
यादव का कहना था कि किसानों ने कभी अहम की बात नहीं की। उनका कहना है कि अब pm नरेंद्र मोदी का स्टेटमेंट आया। उनका कहना था कि सरकार अगर 20 तारीख के ऑफर से आगे बढ़ना चाहती है तो स्वागत है। किसान नेता बातचीत के लिए तैयार हैं। उनका कहना था कि हरियाणा और यूपी की सरकारें बिजली पानी बंद करके जो घटियापन कर रही हैं, उससे भी बातचीत पटरी से उतर रही है।
टीवी चैनल की डिबेट में बैठे भाजपा के प्रवक्ता गौरव गोगोई ने योगेंद्र यादव के इस बयान पर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि इस तरह के आरोप लगाना गलत है। पहले योगेंद्र उन नेताओं के नाम और पहचान को उजागर करें जो बीजेपी और संघ के हैं और जिनके खिलाफ मारपीट करने के पुख्ता प्रमाण है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बगैर प्रमाण के वह इस तरह की बयानबाजी न करें।
किसान आंदोलन को लेकर इससे पहले डिबेट में भाजपा प्रवक्ता ने अपने तीखे तेवर दिखाए। उनका साफ तौर पर कहना था कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए काम कर रही है। देश भर के किसान कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे हैं। केवल मुट्ठी भर किसान नेता इसके विरोध में अपनी राजनीति चमका रहे हैं।