देश में करीब 46 साल पहले जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल का ऐलान किया था, तब देश में आंदोलनों की एक नई लहर चली थी। समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में उस दौर के आंदोलनों में कई ऐसे नेताओं का उदय हुआ, जो आज के समय में लोकप्रिय हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। आपातकाल के दौरान जिस वक्त इंदिरा गांधी सरकार संघ और विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही थी, उस दौरान नरेंद्र मोदी पुलिस से बचते हुए अंडरग्राउंड रह कर ही इंदिरा सरकार के खिलाफ मोर्चा छेड़े हुए थे।
आपातकाल के बाद जेल में डाल दिए गए थे विपक्षी नेता: जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा सरकार के खिलाफ 1974 में बिगुल फूंका था। अगले एक साल में इंदिरा गांधी के कानों में ये आवाज गूंजने लगी- सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। हालांकि, 25 जून की रात को उन्होंने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से एक अध्यादेश पर दस्तखत कराकर इमरजेंसी की घोषणा कर दी। सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया और अखबारों को सेंसर कर दिया गया।
पुलिस से बचकर भाग निकले थे मोदी: इसके अगली सुबह तक आपातकाल की खबर अहमदाबाद पहुंच चुकी थी। नरेंद्र मोदी को इसकी जानकारी हो चुकी थी कि संघ और आरएसएस के कई नेता गिरफ्तार हो चुके हैं। इन हालात में मोदी अपने एक साथी के साथ स्कूटर पर बैठकर आरएसएस के दफ्तर हेडगेवार भवन पहुंचे। मोदी की गिरफ्तारी तय थी। हालांकि, इसके बावजूद वे बच निकले।
मोदी ने इसके बारे में अपनी किताब- आपातकाल में गुजरात में बताया है। इसमें उन्होंने कहा है कि जब वे आरएसएस के दफ्तर पहुंचे, तो उन्हें एक पुलिस की गाड़ी में कई संघ नेता बैठे दिखाई दिए। मोदी ने बताया था कि उन्होंने तेज स्पीड में स्कूटर घुमाया था और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भाग निकले थे।
दोस्तों के घर छिपकर गिरफ्तारी से बचे: इसके बाद आपातकाल में पुलिस से बचने के लिए मोदी ने तीन अलग-अलग रूप रखे। इनमें एक रूप कॉलेज स्टूडेंट का था, दूसरा रूप एक स्वामी का था, जबकि तीसरा रूप एक सरदार का था। मोदी के इन रूपों को पहचानना पुलिस के लिए काफी मुश्किल रही। इमरजेंसी के दौरान उन्हें भेष बदलकर कई ठिकानें बदलने पड़ते थे। वे दिनभर तो संगठन के काम के लिए घूमते थे, लेकिन रात में उन्हें मंदिर के किसी कमरे में सोते थे या वे रात में किसी घर की छत पर लेटते थे। इस दौरान उन्होंने कई दोस्तों के घर पर छिपकर भी रातें काटीं।