Talkatora Stadium: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा ऐलान किया है। नई दिल्ली विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने बड़ी घोषणा की है। प्रवेश वर्मा ने कहा कि अगर दिल्ली में उनकी सरकार बनती है तो तालकटोरा स्टेडियम का नाम बदलकर भगवान महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया 8 फरवरी को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी। उसके बाद नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (NDMC) की पहली बैठक में ही हम तालकटोरा स्टेडियम का नाम बदल देंगे। तालकटोरा स्टेडियम का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रख दिया जाएगा।

बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि नई दिल्ली में एक बड़ा स्टेडियम है- तालकटोरा, मुगलों के समय में एक बड़ा स्विमिंग पूल हुआ करता था जो कटोरा के शेप में होता था, इसलिए उसे तालकटोरा कहने लगे थे। आज बड़ी घोषणा यह करने जा रहा हूं कि 8 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है। बीजेपी का कमल खिलेगा। सरकार बनने के बाद एनडीएमसी काउंसिल की पहली मीटिंग में तालकटोरा स्टेडियम का नाम बदलकर भगवान महर्षि बाल्मीकि के नाम पर रखा जाएगा.।

जब प्रवेश वर्मा ने यह घोषणा की, उनके साथ एनडीएमसी के कॉउंसिल मेंबर वाल्मीकि समाज के अनिल वाल्मीकि बैठे हुए थे। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समाज एक पिछड़ा हुआ समाज है, अनुसूचित जाति का समाज है, जब तक अनुसूचित को आगे नहीं लेकर आएंगे देश आगे नहीं बढ़ेगा।

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अरविंद केजरीवाल के बयान पर प्रवेश वर्मा ने कहा कि वो चाहे मुझे गुंडा कहें, महिलाओं का सम्मान करने से रोकें, कब तक रोकेंगे? वह चुनाव हार रहे हैं। नई दिल्ली में भी कमल खिलेगा और दिल्ली में भी हम सरकार बनाएंगे। जब वह गुंडा कह रहे हैं तो वाल्मीकि समाज ने पंचायत करके आम आदमी पार्टी का बहिष्कार किया, केजरीवाल वाल्मीकि समाज को गुंडा कहते हैं जो समाज उनको पहले सपोर्ट करता था उनको यहां से इलेक्शन जिताया था। जिस समाज की वजह से अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तीन-तीन बार। वाल्मीकि समाज को गुंडा कहते हैं, क्रिमिनल कहते हैं यह बहुत दुर्भाग्य की बात है। पहले फायदा उठाना उनको गुंडा कहना, क्रिमिनल कहना इसीलिए पूरे वाल्मीकि समाज ने उनका बहिष्कार किया है।

केजरीवाल और संदीप दीक्षित से मुकाबला

बता दें, प्रवेश वर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने नई दिल्ली सीट से उतारा है। इसी सीट से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस की ओर पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ताल ठोंक रहे हैं। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बनता हुआ दिखाई दे रहा है। इस बार के चुनाव में नई दिल्ली सीट पर सबकी नजर है क्योंकि ये वही सीट पर जिस पर बीते तीन चुनावों से अरविंद केजरीवाल लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इसके अलावा एक और तथ्य है कि इस सीट से जिस पार्टी का कैंडिजडेट चुनाव जीतता है, उसी की सरकार दिल्ली में बनती है।

बता दें, दिसंबर के आख़िर में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सेंट्रल दिल्ली में मौजूद वाल्मीकि मंदिर पहुंचे थे। मंदिर में उन्होंने पूजा-अर्चना की और नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की। केजरीवाल नई दिल्ली सीट पर चौथी बार चुनावी चुनौती का सामना कर रहे हैं। वाल्मीकि मंदिर इसी नई दिल्ली विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है।

साल 2013 में केजरीवाल ने वाल्मीकि बस्ती चुनाव चिह्न किया था लॉन्च

इसी वाल्मीकि बस्ती में अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ साल 2013 में झाड़ू लगाकर अपने चुनाव चिह्न को लॉन्च किया था। प्रतीकों की राजनीति में केजरीवाल के इस चुनाव चिह्न को बीते दो चुनाव में दलित मतदाताओं का साथ मिला। इसमें वो तबका भी है, जो साफ़-सफ़ाई के काम से जुड़ा है। इस वर्ग के लिए झाड़ू की अपनी अहमियत है।

2013 के चुनाव में दलित मतदाताओं ने नई बनी आम आदमी पार्टी का साथ दिया। इस चुनाव में 12 आरक्षित सीटों में से नौ सीट आप ने जीतीं। पिछले दो चुनावों में आप ने सभी बारह सीटों पर क्लीन स्वीप किया। 1993 से लेकर 2020 तक सात विधानसभा चुनाव में दलितों के लिए रिज़र्व सीटों पर जिसने बढ़त हासिल की, उसकी सरकार बनी।

वहीं दलित दिल्ली की आबादी और राजनीति दोनों में अपना प्रभाव रखते हैं, लेकिन क्या उनका प्रतिनिधित्व भी इसी हिसाब से है? 20 फ़ीसद दलित आबादी वाले उत्तर प्रदेश में मायावती चार बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं, लेकिन 17 फ़ीसद दलित आबादी वाले दिल्ली को अब तक कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं मिला है।

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