कोरोना संकट के चलते अदालतें अपनी सभी सुनवाई वुर्चअल कोर्ट के जरिये कर रही हैं। ऐसे में एक वकील ने इस वुर्चअल कोर्ट स्क्रीनशॉट लेकर अपने LinkedIn पर पोस्ट कर दिया। जिसके बाद अदालत ने उस पर अवमानना की कार्रवाई शुरू की है। हालांकि मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले में वकील के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को रद्द कर दिया और उन्हें चेतावनी देते हुए छोड़ दिया।
हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना है कि वुर्चअल कोर्ट की कार्यवाही का स्क्रीनशॉट लेना, वास्तविक अदालत की कार्यवाही की तस्वीर क्लिक करने के समान है। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने वकील शिव रतन ककरानिया के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए वर्चुअल सुनवाई के स्क्रीनशॉट ‘लिंक्डइन’ पर पोस्ट करने के लिए एक वकील के खिलाफ मुकदमा दायर किया। हालांकि बाद में ककरानिया ने गलती स्वीकारते हुए अदालत से मानफी मांग ली। जिसके बाद मुकदमा वापस ले लिया गया।
ककरानिया ने स्वीकार किया गया कि अदालत की अनुमति के बिना अदालत की कार्यवाही का स्क्रीनशॉट प्रकाशित करना गलत है। इसके अलावा उन्होने बतया की ‘लिंक्डइन’ से स्क्रीनशॉट डिलीट कर दिया गया है। वहीं न्यायमूर्ति मंथा ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि शिव रतन ककरानिया अवमानना कार्यवाही को चेतावनी के साथ छोड़ दिया जाता है।
ये पहली बार नहीं है जब किसी ने वुर्चअल कोर्ट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इससे पहले भी कई वकील ऐसा कर चुके हैं। यहां तक कि इन सुनवाईयों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा रही है, जिसमें कुछ वायरल हुई हैं। हालही में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वे सुनवाई के दौरान हुक्का पीते नज़र आए थे।

