Tahawwur Rana News: तहव्वुर राणा भारत आने वाला है, दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं, स्पेशल कमांडो एयरपोर्ट से उसे सीधे एनआईए की कस्टडी में लेकर जाएंगे। फिर वहां से पटियाला कोर्ट में उसकी पेशी होनी है। अब कई सालों के संघर्ष के बाद तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है, उसका अमेरिका से सफल प्रत्यपर्ण हुआ है। लेकिन तहव्वुर की आतंकी कुंडली, उसका आतंकी नेटवर्क सिर्फ 26/11 हमले तक सीमित नहीं है। वो पाकिस्तानी सेना का एक पुराना साथी है, वो पाकिस्तान के कई आतंकी संगठनों की एक कठपुतली भी है।
सैन्य स्कूल में पढ़ा है तहव्वुर राणा
तहव्वुर राणा का जन्म 12 जनवरी, 1961 को पाकिस्तान के चिचवतनी में हुआ था। उसने कैडेट कॉलेज हसन अब्दल में अपनी पढ़ाई पूरी की थी। ये एक सैन्य स्कूल था, अनुशासन चरम पर रहता था। बताया जाता है कि आज जिस डेविड कोलमैन हेडली का इतना जिक्र किया जाता है, उससे राणा की मुलाकात इसी सैन्य स्कूल में हुई थी। आगे चलकर हेडली के साथ मिलकर राणा ने मुंबई में बड़ा आतंकी हमला करवाया, 160 से ज्यादा निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा।
2001 में कनाडा का नागरिक बना
राणा ने पाकिस्तान में ही निकाह किया था, उसकी पत्नी एक डॉक्टर थी। उसके शुरुआती जीवन को देखकर किसी को नहीं लगा था कि वो एक आतंकी बन जाएगा, वो बड़े आतंकी हमले करने की साजिशें रचेगा। 1997 में राणा ने पाकिस्तान छोड़ कनाडा जाने का फैसला किया। फिर 2001 में वो कनाडा का ही नागरिक भी बन गया। अब उसके काम को लेकर, नौकरी को लेकर ज्यादा जानकारी कभी सामने नहीं आई। पब्लिक रिकॉर्ड्स खंगालने पर पता चलता है कि इसने अमेरिका के शिकागो में एक इमीग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी खोली थी।
LIVE: किसी भी वक्त भारत आएगा तहव्वुर
हेडली और राणा की दोस्ती का क्या राज?
अब इस एजेंसी का जिक्र करना इसलिए जरूरी है क्योंकि शिकागो में ही राणा की मुलाकात हेडली से हुई थी, वही हेडली जो किसी जमाने में पाकिस्तान के सैन्य स्कूल में राणा के साथ था। अब पुराना दोस्त मिला, याराना बढ़ा और फिर लिखी गई मुंबई आतंकी हमले की पटकथा। असल में 2006 से 2008 के बीच हेडली लगातार भारत आता रहा, वहां भी मुंबई में उसकी दस्तक ज्यादा देखी गई।
अब दुनिया से बड़े हमले वाले राज को छिपाने के लिए उसने अपने दोस्त राणा के शिकागो वाले ऑफिस की ब्रांच मुंबई में खोल दी। बाकियों को लगे कि वो काम से आ रहा है, लेकिन असल मकसद छिपा रहे। अब मुंबई में हमला हुआ, सैकड़ों लोग मरे, लेकिन काफी समय तक हेडली और राणा की कोई भूमिका सामने नहीं आई। लेकिन फिर अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने साल 2009 में शिकागो एयरपोर्ट से दोनों राणा और हेडली को गिरफ्तार किया।
डेनमार्क में कौन सा हमला करने वाले थे?
दिलचस्प यह रहा कि उस समय भी उन दोनों की गिरफ्तारी कोई मुंबई आतंकी हमले के लिए नहीं हुई, बल्कि दोनों को डेनमार्क में चरमपंथी हमला करने की साजिश रचने के लिए अरेस्ट किया गया। यह तो उस पूछताछ के दौरान पता चला कि मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था, उसकी साजिश भी इन दोनों ही रची थी। पहले तो राणा जिलैंड्स-पोस्टेन अख़बार के दफ्तर पर हमला करने की साजिश रचे थे, लेकिन जब वो मिशन फेल हुआ, मुंबई पर काम शुरू हुआ और 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
राणा की भूमिका की पुष्टि इसलिए भी की जा सकती है कि वो मुंबई आतंकी हमले से ठीक पहसे भारत आया था, अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर को भी साथ लाया था। इन लोगों ने दिल्ली का दौरा किया आगरा गए, गुजरात तक ट्रैवल किया था। अब यह जांच एजेंसियों को पता करना है कि इतनी जगह जाने का मकसद क्या था, अगर हमला मुंबई में होना था तो राजधानी दिल्ली तक राणा ने पैर क्यों पसारे?
राणा को कितनी सजा मिलेगी?
अब तहव्वुर राणा को कितनी सजा मिल सकती है, यह एक बड़ा सवाल है। भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत तो राणा पर हत्या, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश और आतंकवादी कृत्यों के आरोप लगने वाले हैं। अब पूरी संभावना है कि इन सभी आरोपों में उसका दोष भी सिद्ध हो जाए, उस स्थिति में आजीवान कारावास या फिर फांसी की सजा राणा को दी जा सकती है।