दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाने के आरोप में गिरफ्तार दो संदिग्ध अलकायदा आतंकवादियों को 12 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। गिरफ्तार आरोपियों मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान और जफर मसूद को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह की अदालत में पेश किया गया। बता दें कि मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान को बुधवार को ओड़ीशा से गिरफ्तारी के बाद ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाकर यहां अदालत में पेश किया गया। इन दोनों से पूछताछ से मिली जानकारी के बाद अलकायदा के इस मॉड्यूल से जुड़े एक और संदिग्ध आतंकी जफर मसूद को उत्तर प्रदेश के संभल जिले से आजगिरफ्तार कर पेश किया गया। बता दें कि इस मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। मसूद को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है।
स्पेशल सेल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर छापेमारी के दौरान उसे गिरफ्तार किया। पुलिस की मानें तो मोहम्मद आसिफ और मदरसा के शिक्षक अब्दुल रहमान से पूछताछ से मिली जानकारियों के बाद मसूद को गिरफ्तार किया गया है। आसिफ भी संभल का ही रहने वाला है। अधिकारी ने बताया कि मसूद से पूछताछ कर यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि उसकी भूमिका क्या थी और एक्यूआइएस में उसके किससे संपर्क थे। पुलिस सूत्रों ने कहा कि संभल में एक्यूआइएस के दो और संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है जो अलकायदा की पिछले साल गठित हुई दक्षिण एशिया शाखा के लिए आतंकवादियों के भर्ती केंद्र के रूप में उभरा है। माना जा रहा है कि इस मामले में अभी और गिरफ्तारियां होनी हैं।
गुरुवार को अदालत से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उनके लिए 12 दिन की हिरासत की मांग की। पुलिस ने अदालत से कहा कि पूरी साजिश का पता लगाने और इस मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की पहचान जानने के लिए दोनों आरोपियों से विस्तार से पूछताछ की जरूरत है। जज ने कहा कि मैं संतुष्ट हूं कि 12 दिनों की अवधि के लिए दोनों ही आरोपियों से हिरासत में पूछताछ वांछित है।
पुलिस के अनुसार रहमान ओड़ीशा में एक मदरसा चलाता है और वहीं उसने युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाने की कोशिश की। मसूद युवकों के बीच अलकायदा के एजंडे का प्रचार कर रहा था और उन्हें इस आतंकवादी संगठन की ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था। इन दोनों के अलावा आरोपी मोहम्मद आसिफ पहले से ही 28 दिसंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में है।
उसे पहले गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कहा था कि आसिफ (41) को दिल्ली के सीलमपुर इलाके से पकड़ा गया जबकि रहमान (37) को ओड़ीशा के कटक के जगतपुर से गिरफ्तार किया गया। रहमान को दिल्ली पुलिस और ओड़ीशा पुलिस की संयुक्त टीम ने जगतपुर के पश्चिमकछा गांव में उसके घर पर छापा मारकर गिरफ्तार किया था। दोनों पर अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है। स्पेशल सेल के अनुसार रहमान पर सऊदी अरब, पाकिस्तान, दुबई में जेहादी तत्वों से संबंध होने का संदेह है। रहमान शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। वह कटक के समीप टांगी इलाके में मदरसा चलाता था।
स्पेशल सेल ने बताया कि आसिफ जून, 2013 में दो युवकों के साथ दिल्ली से ईरान की राजधानी तेहरान गया था जहां से वे पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए। पुलिस ने कहा था कि आसिफ और उसके साथ गए युवक उत्तरी वजीरिस्तान के सुमाली गए जहां आसिफ ने प्रशिक्षण लिया। आसिफ सितंबर, 2014 में दिल्ली लौटा और वह और लोगों की भर्ती में जुट गया। वैसे ईरान प्रवास के उसे वहां की सुरक्षा एजंसियों गिरफ्तार कर लिया लेकिन अलकायदा के लोगों ने उसे हिरासत से बाहर निकालकर तुर्की पहुंचाने का इंतजाम किया।
उधर, ओड़ीशा पुलिस ने दावा किया है कि कटक से गिरफ्तार संदिग्ध अलकायदा आतंकवादी मोहम्मद अब्दुर रहमान का 2007 में ग्लासगो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हमले में शामिल एक आतंकवादी से संबंध था। भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्त आरपी शर्मा ने कहा कि दिल्ली पुलिस को पूछताछ के दौरान रहमान के बंगलुरु के एक युवक कफील से संबंध की जानकारी हुई थी। कफील ने 2007 में ग्लासगो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विस्फोटकों से भरी एक जीप टकराने का प्रयास किया था जिसमें उसकी झुलसने से मौत हो गई थी।
उन्होंने बताया कि रहमान अपना ज्यादातर समय ओड़ीशा के बाहर बिताता था और वह तब जांच के घेरे में आया जब एक्यूआइएस के संस्थापक सदस्यों में से एक मोहम्मद आसिफ ने उसके नाम का खुलासा किया। हालांकि रहमान का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है पर शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि वह फरवरी, 2011 में कटक के पास किला फोर्ट के भीतर शाही मस्जिद में हुई एक घटना में लिप्त था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था और उसके खिलाफ एक आरोपपत्र तैयार किया था। मामला अब विचाराधीन है।
सूत्रों ने बताया कि रहमान का कटक में किल्ला फोर्ट के पास एक मदरसे की स्थापना को लेकर स्थानीय लोगों के साथ एक विवाद था। उसने हालांकि कटक शहर में कोई जगह नहीं मिलने पर टांगी क्षेत्र में मदरसे की स्थापना की योजना बनाई।