दिल्ली के तीनों नगर निगमों में 23 हजार सफाई कर्मचारियों के स्थायीकरण का मुद्दा इस चुनाव में अहम होने वाला है। अपनी नौकरी के स्थायीकरण के लिए धरना, प्रदर्शन और मुख्यमंत्री का घेराव कर चुके इन सफाई कर्मचारियों ने इस बार आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को आईना दिखाने के लिए चुनाव के मध्य महापंचायत कर वोट देने के फैसले लेंगे। सफाईकर्मियों का कहना है कि भले ही वे 23 हजार कर्मचारी हैं लेकिन उनके बच्चे और अन्य परिजनों को शामिल कर यह वोट देने की संख्या चार लाख से ज्यादा हो जाती है। यह चार लाख वोट इस चुनाव में उसे पड़ेगा जो सफाईकर्मियों के बारे में सोचेगा।

दिल्ली नगर निगम में इस समय 80 हजार सफाई कर्मचारी तैनात हैं। बंटवारे से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल तक अपनी मांगें रख चुके हैं। इनकी मांग दिल्ली के लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम चुनाव में हमेशा एक मुद्दा रहा है।

इस मुद्दे पर भाजपा सहित अन्य सभी पार्टियों रोटी सेकती रही है। बीते निगम चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने घोषणा पत्र में इस बात को लिखने का आश्वासन देकर सफाई कर्मचारियों को अपनी पार्टी को वोट देने के लिए कहा था। ये सभी कर्मचारी साल 1995 से स्थाई नहीं हो पाए और कुछ कर्मचारी तो बिना स्थाई हुए ही रिटायर भी हो गए हैं। इस दौरान उन्हें सेवानिवृत्त के बाद भी वे सभी सुविधाएं और लाभ नहीं मिल पाया जिसके वे खुद को हकदार बताते हुए नौकरी से रिटायर हो गए।

दिल्ली प्रदेश अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष संजय गहलोत बताते हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को पक्का करने और 2017 से पहले लगे कर्मचारियों को स्थाई करने का आश्वासन सदन में भी दिया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि निगम के सीवर सफाई करने वाले कर्मचारियों के लिए निगम दो सौ सीवर सफाई की मशीन मंगा रही है जिसे उनके आश्रितों को जीविका के बाबत दिया जा सकता है। लेकिन यह मशीन निगम में नहीं देकर दिल्ली जल बोर्ड को दे दिया गया जिससे सफाई कर्मचारियों की स्थिति जस की तस रह गई।

मजदूर संघ के महासचिव जोगेंद्र ढ़िगिया का कहना है कि निशुल्क चीजों की आदत लगाने से अच्छा वे रोजगार और स्वाबलंबन की दिशा में कोई ठोस पहल करते। कुछ कर्मचारियों को स्थायी कर निगम में बैठे नेता चुनावी रोटी सेंकने की कोशिश में थे लेकिन यह उन्हीं के लिए सिरदर्द है। संजय गहलोत ने बताया कि 22 अक्तूबर से लगातार मांगों को लेकर सिविक सेंटर पर अनिश्चितकालीन धरना जारी रखा, कोई ठोस परिणाम नही निकलने से कर्मचारियो में भयंकर रोष व्याप्त पैदा हुआ।

कमर्चारी नाखुश होकर संकल्प के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री के निवास का घेराव किया। उन्होंने एलान किया कि फिर भी मांगे न माने जाने की स्थिति में व्यापक कदम उठाते हुए पूरी दिल्ली में काम बंद हड़ताल की गई और फिर कोर्ट के निर्देश और सरकार के आश्वासन के बाद वे लोग काम पर लौटे और दिल्ली में फैलाई जा रही गंदगी को साफ किया।