बिहार के रोहतास में आयोजित किसान महापंचायत में स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार मंच पर साथ नजर आए। लोगों को संबोधित करते हुए दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को जमकर निशाने पर लिया। कन्हैया कुमार ने इस दौरान कृषि कानूनों के अलावा निजीकरण का भी जमकर विरोध किया।
रोहतास के खड़ारी में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि 2022 तक किसानों के आय को दोगुना करने का वादा करने वाली बीजेपी सरकार किसानों को मजदूर बनाने के लिए यह कानून लेकर आई है। कन्हैया कुमार ने कहा कि इन कानूनों के जरिए केंद्र सरकार किसानों के जमीन को पूंजीपतियों को देकर उनके अपने ही खेत में मजदूर बनाना चाहती है। इसके अलावा राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कन्हैया ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें किसान विरोधी है।
वहीं स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने किसान महापंचायत के बाद बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों की जांच के लिए बिहार सबसे मुफीद जगह है। बिहार में 2006 में कृषि मंडियां ख़त्म कर दी गई थी जो प्रयास आज मोदी सरकार इन तीनों कृषि कानूनों के जरिए कर रही है। बिहार में आज यह हाल है कि मंडियां ख़त्म होने के बाद यहां के किसानों की स्थिति बद से बदतर हो गई है।
साथ ही योगेंद्र यादव ने यह भी कहा कि बिहार में धान की फसल बहुत ज्यादा होती है। सरकार की तरफ से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपए तय किया गया है लेकिन यहां के किसानों को सिर्फ 1200 से लेकर 1350 रुपए तक मिला है। आगे योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर कुछ किसानों ने सरकारी दाम पर भी धान को बेचा है तो उन्हें भी केवल 1600 से लेकर 1700 मिला है। इसलिए बिहार हमें साफ़ दिखाता है कि अगर यह कानून पूरे देश में लागू हो गया तो देशभर के किसानों का वही हाल होगा जो यहां के किसानों का हुआ है।
देशभर के किसान पिछले 3 महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. आंदोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। 26 मार्च को किसान आंदोलन के चार महीने पूरे हो जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया है। साथ ही 28 मार्च को होलिका दहन के दिन पूरे भारत में तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएगी।