प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन काफी सुर्खियों में रहता है। इस एक मिशन को लेकर सरकार ने काफी पैसा भी खर्च किया है और कई सख्त कानून भी बनाए गए। इसी कड़ी में 2021 में स्वचछ भारत मिशन अर्बन 2.0 लॉन्च किया गया था, टारगेट था कि पूरे देश में मौजूद 2400 लैंडफिल साइट्स को साफ किया जाएगा। लेकिन अब तक के आंकड़े बताते हैं कि सरकार अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। उसे जो काम 2025-26 तक पूरा करना है, वहां तक वो अभी तो पहुंचती नहीं दिख रही।

आंकड़ों में स्वच्छ भारत की सच्चाई

असल में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक 69 लैंडफिल साइट्स में से 35 साइट्स पर अभी साफ-सफाई होना बाकी है, यानी कि वहां पर कूड़े के पहाड़ खत्म नहीं हो पाए हैं। इन सभी जगहों पर एक मिलियन के करीब आबादी बताई गई है। एक और आंकड़ा इन्हीं 69 इलाकों को लेकर बताता है कि यहां पर 1258 लाख मेट्रिक टन कूड़ा मौजूद है, जिसमें से 475 मेट्रिक टन कूड़े को ही साफ किया जा सका है। बड़ी बात यह भी है कि इन 69 जगहों पर जितना कूड़ा है, वो पूरे देश का 57 फीसदी है, ऐसे में अगर इसे साफ किया गया तो काफी काम पूरा हो सकता है।

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सबसे बड़े लैंडफिल, कैसे हैं हालात?

जानकारी के लिए बता दें कि अभी मुंबई की Deonar लैंडफिल साइट सबसे बड़ी मानी जाती है। यह लैंडफिल एरिया 296.5 एकड़ तक फैसला हुआ है और पूरे देश की जितनी लैंडफिल साइट्स हैं, उसका 9 फीसदी कूड़ा यही पर इकट्ठा होता है। हैरानी की बात यह है कि यहां पर ना तो इस कूड़े को रीसाइकल या दूसरे तरीकों से कम टॉक्सिक करने का काम हुआ है और ना ही किसी ने अभी तक इस पहाड़ को साफ करने की जहमत दिखाई है। वही बात अगर अहमदाबाद के पिराना लैंडफिल साइट की करें तो वहां जरूर 48 फीसदी तक इलाके में रीसाइकल और दूसरे तरीकों से कूड़े को डीकंपोज करने का काम किया गया है।

राजधानी दिल्ली की चर्चा गाजीपुर और भलास्वा लैंडफिल साइट की बात करें तो वहां पर भी रेमिडेशन पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। एक तरफ गाजीपुर में 26 फीसदी कूड़े को रीसाइकल कर दिया गया है तो वही भलास्वा में यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक गया है। लेकिन क्योंकि कूड़े को साफ नहीं किया जा रहा, उस वजह से पहाड़ का आकार कम होता नहीं दिख रहा।

मंत्री ने क्या दावा कर दिया है?

वैसे जब इंडियन एक्सप्रेस ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से इस सिलसिले में सवाल किया था, उन्होंने जोर देकर बोला कि दो साल के अंदर में 20 फीसदी साइट्स को पूरी तरह साफ कर दिया गया है। कुछ जगहों पर 50 प्रतिशत तक काम पूरा हुआ है तो कही 70 फीसदी तक पूरा हो चुका है। अगले दो साल में अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे। अब मंत्री जरूर कह रहे हैं कि लक्ष्य हासिल होगा, लेकिन सरकार के ही आंकड़े अलग कहानी भी बयां कर रहे हैं।

अभी जमीन पर कैसी स्थिति है?

आंकड़ों के मुताबिक कूड़े को रीसाइकल और दूसरी तरीकों से डीकंपोज करने का काम 1235 साइट्स पर चल रहा है, इसके अलावा 682 साइट्स पर इस प्रक्रिया को शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। इसके ऊपर 49 जगहों पर स्टेट फंड या फिर दूसरे तरीकों से इस काम को शुरू किया जा चुका है। लेकिन इसका मतलब यह भी है कि 712 साइटें अभी भी ऐसी जिन्हें लेकर कोई प्लान तैयार नहीं है।

Damini Nath