असम में रह रहे संदिग्ध विदेशियों को अब खुद को भारत का नागरिक साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है। वहीं, उनकी नागरिकता पर अंतिम फैसला डीसी लेंगे। मंगलवार को असम कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम हिमंता बिस्वा ने कहा कि कैबिनेट ने नए अधिनियम को लागू करने के लिए एक एसओपी को मंजूरी दे दी है।
असम मंत्रिमंडल ने मंगलवार को 1950 के एक अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंज़ूरी दे दी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि यह राज्य सरकार को मौजूदा नागरिकता निर्धारण प्रक्रिया को दरकिनार करने और इसके बजाय ज़िला आयुक्तों को संदिग्ध विदेशियों को 10 दिन का समय देने की घोषणा की है। साथ ही अगर वे ऐसा करने में असमर्थ हैं तो उन्हें राज्य से निकालने का अधिकार देगा। वर्तमान में संदिग्ध विदेशियों के मामले विदेशी न्यायाधिकरणों में जाते हैं।
असम सरकार ने अप्रवासी अधिनियम, 1950 को लागू करने का फैसला किया
इस साल जून में सीएम सरमा ने विधानसभा में घोषणा की थी कि असम सरकार ने अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 (IEAA) को लागू करने का फैसला किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के अक्टूबर 2024 के फैसले का हवाला दिया था जिसमें नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया था। यह अधिनियम 24 मार्च, 1971 को असम में प्रवेश की अंतिम तिथि निर्धारित करती है जिसका अर्थ है कि उसके बाद राज्य में प्रवेश करने वालों को अवैध अप्रवासी माना जाएगा।
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डीसी व्यक्ति को 10 दिनों के भीतर नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस जारी करेंगे
मंगलवार को असम कैबिनेट की बैठक के बाद हिमंता बिस्वा ने कहा कि कैबिनेट ने अब इस अधिनियम को लागू करने के लिए एक एसओपी को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि यह काफी हद तक राज्य के विदेशी न्यायाधिकरणों की भूमिका को अमान्य कर देगा। सीएम ने कहा, “इस एसओपी के अनुसार, “अगर डीसी को सूचित किया जाता है कि कोई व्यक्ति विदेशी है या सीमा पुलिस यह सूचित करती है कि वह व्यक्ति विदेशी है या किसी अन्य स्रोत से हमें पता चलता है कि वह व्यक्ति विदेशी है तो डीसी उस व्यक्ति को 10 दिनों के भीतर अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस जारी करेंगे। अगर उन 10 दिनों में उसके द्वारा दिए गए दस्तावेज़ डीसी को संतुष्ट नहीं करते हैं तो दसवें दिन डीसी निकलने का आदेश जारी करेंगे। हम उस व्यक्ति को तुरंत एक होल्डिंग सेंटर ले जाएंगे और वहां से बीएसएफ उसे वापस बांग्लादेश या पाकिस्तान भेज देगी।”
असम सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने विदेशी न्यायाधिकरणों को दरकिनार करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “केवल एक भ्रामक मामला, जिसमें डीसी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकते और अगर डीसी प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि व्यक्ति विदेशी है तभी मामला एफटी में जाएगा।”
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