भारत ने पाकिस्तान के साथ किसी तरह की साझेदारी के पूर्व लक्षण के तौर पर आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल समेत तीन सिद्धांतों से बंधे होने की बात दोहराई और मुंबई हमलों के साजिशकर्ता जकिउर रहमान लखवी समेत आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार में कोई उलझन या भ्रम नहीं है और उसकी एक बहुत स्पष्ट पाकिस्तान नीति है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले साल यहां आये थे तो दोनों देशों ने तीन सिद्धांतों पर बातचीत के लिए फैसला किया था। ये सिद्धांत शिमला और लाहौर समझौते में भी शामिल थे।

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पहले तो हम प्रत्येक मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये निकालने को तैयार हैं। दूसरी बात कि बातचीत दो देशों के-हमारे और पाकिस्तान के बीच होगी। न तो कोई तीसरा देश मध्यस्थता करेगा और न ही कोई तीसरा पक्ष होगा। तीसरी बात कि आतंकवाद और हिंसा को दूर रखकर सामंजस्य का माहौल बनना चाहिए।’’

सुषमा ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान से बार बार कहा है कि इन तीन सिद्धांतों के आधार पर बातचीत हो सकती है।’’ जब पूछा गया कि क्या निकट भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच कोई वार्ता प्रस्तावित है तो उन्होंने कहा कि अभी कोई बैठक निर्धारित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अब अगर लखवी बाहर है और उसे छोड़ दिया गया है और अगर पाकिस्तान सोचे कि सौहार्द का माहौल है तो क्या भारत इसे स्वीकार करेगा।’’

अल-कायदा और अन्य संबंधित संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी समिति में सैयद सलाउद्दीन को सूचीबद्ध करने के भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान द्वारा चीन का इस्तेमाल करते हुए ‘तकनीकी अवरोध’ पैदा करने की कोशिश के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कहा, ‘‘हमने चीन को बताया था कि केवल हम आतंकवाद के पीड़ित नहीं हैं। चीन भी पीड़ित है और स्रोत एक ही है। इसलिए इस तरह के मुद्दों पर प्रस्ताव 1267 पर मतदान करते हुए सीमित नजरिया नहीं रखा जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक आतंकवाद को ध्यान में रखा जाए और एक नीति का पालन किया जाए ताकि हम मिलकर काम कर सकें और एकजुट होकर फैसले लें। भारतीय नेतृत्व ने चीनी नेतृत्व को यह संदेश दिया।’’ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 के तहत अल-कायदा और अन्य संगठनों पर प्रतिबंध समिति का गठन किया गया है।

पिछले साल पाकिस्तानी उच्चायुक्त के कश्मीरी अलगाववादियों से बातचीत करने के बाद भारत द्वारा विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द किये जाने के संदर्भ में सुषमा ने कहा कि जब पाकिस्तान से कोई नेता या अधिकारी यहां आते हैं तो सामान्यतया ये अलगाववादी नेता जाते हैं और मिलते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यहां पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने भारत के साथ वार्ता से चार दिन पहले अलगाववादियों को आमंत्रित किया। हमने उनसे पूछा कि जब दोनों देश बातचीत करने जा रहे हैं तो उन्होंने उन्हें क्यों बुलाया। बातचीत में हम कोई तीसरा पक्ष नहीं चाहते।’’

पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते आर्थिक कॉरिडोर बनाने में चीनी सहायता के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि चीनी राजदूत से बात कर इस बाबत विरोध दर्ज कराया गया। उन्होंने कहा, ‘‘और जब प्रधानमंत्री चीन गये तो उन्होंने इस बारे में बहुत दृढ़ता से बात रखी। उन्होंने पुरजोर तरीके से इस विषय को उठाया और कहा कि आप चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के बारे में जो बात कर रहे हैं, वह हमें स्वीकार्य नहीं है।’’

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को लेकर गृह मंत्री के और ‘आतंकवादियों को आतंकवादियों के माध्यम से ही खत्म करने’ संबंधी रक्षा मंत्री के हालिया बयानों के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान के संबंध में कोई संशय नहीं है। ‘‘अगर सीमा पर बमबारी होगी तो गृह मंत्री चुप नहीं बैठेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह जवाब देंगे और निश्चित रूप से इस भाषा में बात करेंगे। रक्षा मंत्री को देश की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उन्हें सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। इसलिए वह उस तरीके से बोलेंगे।’’