Sushma Swaraj Death News: दिग्गज बीजेपी नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तिरंगे में लिपटकर अनंत सफर पर रवाना हो गई हैं। बुधवार (सात अगस्त, 2019) को नई दिल्ली स्थित लोधी रोड शवदाह गृह में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए परिजन के अलावा उपराष्ट्रपति एम.वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीनियर भाजपाई नेता लाल कृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई बड़े नेता पहुंचे।
इससे पहले, सुषमा की अंतिम यात्रा के दौरान समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ उमड़ी थी, जबकि उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धासुमन अर्पित करने शाह, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी उनके आवास गए थे। सुषमा की शख्सियत का अंदाजा इसी से लगता कि उनके अंतिम दर्शन के लिए विपक्ष के भी कई बड़े नेता पहुंचे।
सुषमा का निधन मंगलवार देर रात हुआ था। 67 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री को दिल का दौरा पड़ा था, जबकि दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसें ली थीं। हैरत की बात है कि इससे चंद घंटों पहले उन्होंने लोकसभा में पारित हुए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास होने पर पीएम मोदी को बधाई देते हुए खुशी जाहिर की थी।


पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के बाद अंबाला छावनी में लोग पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। स्वराज का बचपन यहीं बीता था। छावनी के बी सी बाजार क्षेत्र में रहने वाले लोग पूर्व मंत्री को याद करते हुए कहते हैं कि स्वराज स्कूल से ही बहसों और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थीं।
स्थानीय बुजुर्ग श्याम बिहारी ने मीडिया से कहा, ‘‘छठी कक्षा से ही उन्होंने राजनीति की तरफ अपना झुकाव दिखाया था और बाद में उन्होंने महसूस किया कि उनका लक्ष्य क्या है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह बहुत स्रेहमय थीं, लोगों का ध्यान रखती थीं और हमेशा मदद के लिए तैयार रहती थीं। जरूरत में पड़े किसी भी व्यक्ति की मदद के लिए कभी वह यह नहीं सोचती थीं कि सामने वाला उनका समर्थक है या विपक्षी पार्टी का है।’’
एक अन्य ने पुराने दिन याद करते हुए कहा कि स्वराज जब सुबह में अपने परिवार के लिए दूध लेकर आती थीं तो उस समय वह और उनके दोस्त क्रिकेट खेलते थे, जिसकी गेंद से कभी-कभी दूध गिर भी जाया करता था। लेकिन स्वराज कभी गुस्सा नहीं हुईं। वह हमेशा खेलना बरकरार रखने को कहती थीं।
नई दिल्ली में लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में बुधवार को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अंतिम संस्कार के दौरान पीएम मोदी और वरिष्ठ बीजेपी नेता एलके आडवाणी भावुक नजर आए। (फोटोः पीटीआई)
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से मुंबई में रहने वाला एक शख्स अपनी ‘दूसरी मां’ से वंचित हो गया। यह शख्स छह साल तक पाकिस्तान की हिरासत में रहा था। ऑनलाइन दोस्त बनी एक लड़की से मिलने के लिए अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान गए हामिद निहाल अंसारी (36) को वहां जासूसी के इल्जाम में छह बरस तक जेल में रहना पड़ा। उन्हें सैन्य अदालत ने सजा सुनाई थी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सुषमा जी की कोशिशों की वजह से ही मैं घर लौट सका। जब मुझे वाघा-अटारी सीमा पर भारत को सौंपा गया और अपने माता-पिता से मिला, तब मेरी एक मां थी। बाद में जब सुषमा जी से मिला तो उन्होंने गले लगाया और एक मां की तरह मुझे हिम्मत दी। तब मेरे पास दो माएं हो गईं, उनमें से एक को मैंने खो दिया।’’
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के निधम पर शोक जताया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल उइके ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर गहनशोक व्यक्त किया है। उइके ने कहा है कि सुषमा स्वराज महान नेता, योग्य नेतृत्वकर्ता और प्रखर वक्ता थीं।
राज्यपाल ने अपने संसदीय कार्यकाल को स्मरण करते हुए कहा, ‘‘वह मेरे लिये एक गुरू की भांति थी और जब मैं राज्यसभा में पहली बार गयी तो उन्होंने बड़ी बहन के रूप में मेरा उत्साहवर्धन किया और आत्मविश्वास बढ़ाया। उनकी प्रेरणा से मैं संसद में अपने विचार रख सकी।’’
सुषमा स्वराज के अंतिम संस्कार के दौरान पीएम मोदी भी मौजूद हैं। पीएम के अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह, गुलाम नबी आजाद समेत कई बड़े नेता भी मौजूद हैं।
बेटी और पति ने सुषमा स्वराज को दी सलामी
एमडीएच के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी भाजपा मुख्यालय में सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भावुक हो गए और रोने लगे। वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह उन्हें संभाला।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भाजपा मुख्यालय में सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सुषमा स्वराज का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए भाजपा मुख्यालय में रखा गया है। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी मुख्यालय पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने बेहतरीन काम किया। यही वजह रही कि उनके निधन पर कई देशों के राजदूतों ने दुख प्रकट किया। इनमें चीन, रूस, इजरायल के राजदूत प्रमुख हैं। इजरायल के राजदूत को बाकायदा श्रद्धांजलि देने के लिए सुषमा स्वराज के आवास भी गए।
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर बुधवार को शोक व्यक्त करते हुए एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में ईरानी ने लिखा कि, "असंख्य महिला कार्यकर्ताओं की प्रेरणा दीदी का आकस्मिक निधन हम सबको स्तब्ध कर गया। आज उनके शोकाकुल परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हूं। एक कार्यकर्ता के नाते महिला उत्थान के प्रति अगर हम अपना जीवन सर्मिपत करें तो वह दीदी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।" उन्होंने एक अन्य ट्वीट में उस घटना का जिक्र किया जब स्वराज ने अपनी बेटी बांसुरी से कहा था कि वह एक रेस्तरां चुनें जहां वे तीनों के खाने पर जा सकें। उन्होंने बताया कि आपने बांसुरी को हमारे लिए एक रेस्तरां चुनने को कहा था, ताकि हम जीत का जश्न मना सकें। आप हम दोनों से किया वादा पूरा किए बिना ही चली गईं।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी ने बुधवार को उन्हें अपनी सबसे करीबी सहर्किमयों में से एक बताया जो भाजपा के सबसे लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित चेहरों में शुमार हुईं और ‘‘महिला नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत’’ बनीं।आडवाणी ने उन्हें याद करते हुए बताया कि एक भी ऐसा साल नहीं रहा, जब वह उनके जन्मदिन पर उनका पसंदीदा चॉकलेट केक लाना भूली हो। आडवाणी ने एक बयान में कहा कि स्वराज उन लोगों में से थीं जिन्हें वह भारतीय जनता पार्टी में उनकी ‘‘शानदार पारी’’ की शुरुआत से जानते हैं और उनके साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह एक होनहार युवा कार्यकर्ता थीं जिसे उन्होंने अपनी टीम में शामिल किया था।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर उनके सम्मान में हरियाणा सरकार ने दो दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। बता दें कि सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला में हुआ था।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की पार्थिव देह बुधवार को तीन घंटे के लिए भाजपा मुख्यालय में रखी जाएगी जहां पार्टी कार्यकर्ता और नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा।
सुषमा स्वराज के निधन पर विभिन्न राजनेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई राजनेता और विभिन्न जगत की हस्तियां ने सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की
विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई।
भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा। स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे। लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे। वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे।
विधि स्रातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की। वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं। उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे। कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे।
स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे
चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्रेह रहता था। वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं। वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
कैलाश सत्यार्थी और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने दी अंतिम श्रद्धांजलि
इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं। स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुषमा स्वराज के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया।
वर्ष 2016 में उनका गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। इस बार वह मोदी सरकार का हिस्सा नहीं थीं और विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर को उनकी जगह मिली। उन तक आसानी से पहुंचा जा सकता था। उनकी छवि एक ऐसे विदेश मंत्री के रूप में बन गई थी जो सोशल मीडिया के जरिए सूचना मिलते ही विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी। यह ‘मृत्यु’ का आभास था या कुछ और कि उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘अपने जीवनकाल में मैं इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थी।’’ इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद हृदय गति रुक जाने से यहां स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। वह 67 साल की थीं।
सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें ‘जन मंत्री’ कहा जाता था। इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया। वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं।