पाकिस्तान के साथ रिश्तों में भारत को हमेशा पीठ में छुरा मिला है। फिर चाहे वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 1999 में बस से लाहौर जाना और फिर कारगिल युद्ध होना हो या फिर पीएम नरेंद्र मोदी का अफगानिस्तान से लौटते वक्त पाक जाना। इसके ठीक बाद पठानकोट हमला हुआ। अंग्रेजी न्यूज चैनल न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात महीने में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत से संबंध सुधारने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए। हालांकि बाद में वे फिर से पुराने ढर्रे पर लौट गए। भारत से रिश्तों में सुधार की शुरुआत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की दिसंबर 2015 में यात्रा से हुई।
शरीफ ने इस यात्रा के दौरान स्वराज को विशेष रूप से अपने घर पर परिवार के साथ खाना खाने के लिए बुलाया था। सुषमा को यह न्योता नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने व्यक्तिगत रूप से दिया था। रिपोर्ट के अनुसार नवाज शरीफ की अम्मी भी सुषमा स्वराज से मिलना चाहती थीं। न्योते के बाद सुषमा तय वक्त पर लंच के लिए पहुंच गईं। खाने की टेबल पर शरीफ खानदान की चार पीढि़यों को एक साथ देखकर सुषमा को सुखद आश्चर्य हुआ। वहां पर नवाज शरीफ की अम्मी शमीम अख्तर से लेकर उनकी बीवी और बेटी और पोती भी मौजूद थीं। बताया जाता है कि सुषमा स्वराज को देखकर नवाज शरीफ की अम्मी भावुक हो गई थीं। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री को गले लगाते हुए कहा, ”तू तो मेरे वतन से है, मैंने तो आज तक उधर से आनेवाले किसी को गले ही नहीं लगाया।” इस दौरान उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
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सुषमा स्वराज और शरीफ की अम्मी के बीच काफी देर तक बातें होती रहीं। रिपोर्ट के अनुसार दोनों के बीच इस रिश्ते को देखकर नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज से संयुक्त बयान में स्वराज की चिंताओं को ध्यान में रखने का निर्देश भी दिया। नवाज शरीफ के इस बर्ताव को देखते हुए ही सुषमा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान जाने के लिए राजी किया। इसी के चलते अफगानिस्तान से वापस लौटते समय पीएम मोदी लाहौर रूके। वहां पर वे शरीफ के घर भी गए। लेकिन पठानकोट हमले ने रिश्तों में फिर से खटास डाल दी। इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते फिर से कड़वे हो गए।
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