मध्य प्रदेश के विदिशा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वर्ष 2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह मेरा फैसला है। इस बात की घोषणा उन्होंने मध्यप्रदेश के इंदौर में संवाददाता सम्मेलन में की, जहां अभी विधानसभा चुनाव होने हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह फैसला उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी परेशानी को देखते हुए लिया है।उन्होंने अपने फैसले से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी अवगत करा दिया है। वे अभी राज्य में चुनाव प्रचार में अभियान में जुटी हैं। बता दें कि उनका लोकसभा क्षेत्र विदिशा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 56 किलोमीटर दूर है।
#WATCH: “It is the party which decides, but I have made up my mind not to contest next elections,” says External Affairs Minister and Vidisha MP Sushma Swaraj pic.twitter.com/ao8FIee2I0
— ANI (@ANI) November 20, 2018
It is the party which decides, but I have made up my mind not to contest next elections: External Affairs Minister and Vidisha MP Sushma Swaraj pic.twitter.com/G3cHC6pKGh
— ANI (@ANI) November 20, 2018
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से सुषमा स्वराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। सुषमा स्वराज को मधुमेह की भी बीमारी है। वर्ष 2016 के दिसंबर महीने में दिल्ली स्थित एम्स में उनका गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया था। उन्हें यह गुर्दा किसी अनजान व्यक्ति ने दिया था। इससे पहले उन्हें डायलिसिस पर भी रखा गया था। हालांकि, एम्स में भर्ती रहने के दौरान भी सुषमा स्वराज विदेशों में रह रहे भारतीयों की लगातार मदद करती रहीं। विदेश मंत्री के रूप में कार्य करते हुए सुषमा स्वराज हमेशा टि्वटर पर एक्टिव रहीं। एक अंतर-धार्मिक जोड़े को पासपोर्ट नहीं मिल रहा था और उन्होंने अपनी शिकायत ट्वीटर पर डाल दी। सुषमा स्वराज अौर उनके मंत्रालय तत्काल पासपोर्ट कार्यालय को पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया था। इसी तरह विदेशों में रहे रहे लोग किसी भी तरह की मुसीबत में ट्वीट करते थे तो सुषमा स्वराज और उनके मंत्रालय द्वारा तत्काल सहायता उपलब्ध करायी जाती रही है।
सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ चुकी हैं चुनाव: कांग्रेस अध्यक्ष बनने के एक साल बाद सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी और उत्तर प्रदेश के अमेठी दोनों जगह से चुनाव लड़ने की घोषणा की। बेल्लारी 1952 से कांग्रेस पार्टी का गढ़ था। इसके बावजूद सुषमा स्वराज सोनिया गांधी के खिलाफ मैदान में उतरी। 30 दिनों के भीतर उन्होंने चुनावी अभियान के लिए कन्नड़ भी सीखी। हालांकि, सुषमा स्वराज यह चुनाव जीतने में असफल रहीं। सोनिया गांधी ने उन्हें 56,000 वोटों से हरा दिया था। लेकिन जिस तरह के कयास लगाए जा रहे थे, उसके मुकाबले हार का यह अंतर काफी कम था। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।