सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में हुई। उनकी सजा पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की (न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार) की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने मानहानि के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत निर्धारित अधिकतम दो साल की कैद की सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन अहम टिप्पणी

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनका बयान गुड टेस्ट में नहीं था। सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। जैसा कि इस अदालत ने अवमानना ​​याचिका में उनके हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें (राहुल गांधी) अधिक सावधान रहना चाहिए था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज द्वारा अधिकतम दो साल की सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। अंतिम निर्णय आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। अदालत ने कहा कि इससे न केवल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ।

राहुल गांधी की दलील

राहुल गांधी ने कहा कि मामले में अदालत उनको दो साल से कम की सजा भी दे सकती थी लेकिन मजिस्ट्रेट ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने मनमाने तरीके से अधिकतम सजा दे डाली। राहुल ने कहा कि गुजरात की कोर्ट के फैसले के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई। वो छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते।

23 मार्च 2023 को गुजरात केस चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें उनके सरकारी बंगले को भी छोड़ने के लिए कह दिया गया था। राहुल गांधी गुजरात हाईकोर्ट भी गए थे पर राहत नहीं मिल सकी।