Supreme Court on SIR: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा हो रहे वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार अवैध गतिविधि होती है तो फिर कोर्ट पूरी प्रक्रिया को ही रद्द कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ऐसा फैसला लिया गया तो वो केवल बिहार के एसआईआर के लिए नहीं बल्कि पूरे देश पर लागू होगा।

SIR पर जारी सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले में कोई भी फैसला टुकड़ों टुकड़ों में नहीं दे सकते। इसलिए जो भी फैसला होगा, वह पूरे देश के लिए लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह यह मानता है कि एक संवैधानिक प्राधिकारी के तौर पर भारत निर्वाचन आयोग वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण का काम पूरा करने में कानून और अनिवार्य सभी नियमों का पालन कर रहा है।

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आखिरी सुनवाई के लिए तय की 8 अक्टूबर की तारीख

बिहार SIR की वैधता पर आखिरी बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की है। बता दें कि पिछले सोमवार यानी 8 सितंबर 2025 को आदेश दिया था कि एसआईआर की प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए जरूरी 11 दस्तावेजों के अलावा, आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के तौर पर शामिल किया जाए।

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आधार कार्ड पर कोर्ट ने दिया था आदेश

8 सितंबर की उस सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने उन शिकायतों को सुना था, जिनमें ये कहा गया था कि चुनाव अधिकारी पूर्व निर्देशों के बावजूद इसे मान्यता देने से इनकार कर रहे हैं। उन शिकायतों के चलते ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के तौर पर शामिल करने का आदेश दिया था।

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विपक्ष ने उठाए चुनाव आयोग पर सवाल

बता दें कि विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के एसआईआर अभियान पर सवाल उठाए थे। इसके चलते ही सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई हो रही है। विपक्ष द्वारा कथित तौर पर उचित सत्यापन के बिना वास्तविक मतदाताओं के नाम हटा दिए जाने की बात कही गई है, जिसको लेकर लगातार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का दौर जारी है।

हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 8 अक्टूबर को आखिरी सुनवाई की तारीख के तौर पर तय कर दिया है। ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है, कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से इस मामले का आखिरी रास्ता दिख सकता है।

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