दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर चुनी हुई सरकार का अधिकार होगा। दिल्ली की आप सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना के बीच लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 मई, 2023) को फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद अब राजधानी में प्रशासनिक फेरबदल यानी कि अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े फैसले लेने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह फैसला संविधान पीठ की सर्वसम्मति से सुनाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि वह 2019 के जस्टिस भूषण के फैसले से सहमत नहीं हैं और राज्य की शक्तियों पर केंद्र की दलीलों से भी कोर्ट ने असहमति जताई है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया।

सीजेआई ने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई उत्तरदायी सरकार है, लेकिन उसके पास अधिकार कम हैं। प्रशासनिक फेरबदल पर किसका नियंत्रण हो, इसे लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार और केद्र के बीच विवाद था। अरविंद केजरावील सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना के बीच लंबे समय से तल्खी की खबरें आती रहती हैं। आज इस विवादास्पद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र को दिल्ली में सिर्फ पुलिस, जमीन और सार्वजनिक व्यवस्थाओं पर फैसला लेना का अधिकार दिया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह प्रतिनिधि रूप का प्रतिनिधित्व करती है और केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के विपरीत होगा। कोर्ट ने कहा, “राज्यों के पास भी शक्ति है लेकिन राज्य की कार्यकारी शक्ति केंद्र के मौजूदा कानून के अधीन है। यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्यों का शासन केंद्र द्वारा अपने हाथ में न ले लिया जाए।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। आप ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जनता, सच्चाई और जनतंत्र की जीत बताया है। आप ने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मोदी सरकार की हार हुई है। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि अब कई गुना अधिक तेजी से विकास होगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने के लिए उच्चतम न्यायालय का हार्दिक धन्यवाद।

इस मामले में अदालत की दो जजों की पीठ ने फरवरी 2019 में राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार और केंद्र की शक्तियों पर विभाजित फैसला सुनाया था। इसके बाद यह मामला तीन जजों की पीठ के पास गया, जिसने इसे मई 2022 में संविधान पीठ को भेज दिया।