सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर, 2019) को अयोग्य करार दिए गए कर्नाटक के 17 विधायकों पर अहम फैसला दिया है। अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने की मंजूरी दे दी। विधायकों ने तत्कालीन कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार के उस आदेश की चुनौती दी थी जिसमें विधायकों को अयोग्य करार दिया गया। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज एनवी रमन ने कहा कि कोर्ट अध्यक्ष के आदेशों को बरकरार रख रहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस्तीफा देने से विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार खत्म नहीं हो जाते। हालांकि अयोग्य ठहराए जाने के मामले में विधायकों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसला अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर दिया। इसलिए वह चुनाव लड़ सकते हैं।’ सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों से नैतिकता की उम्मीद होती है, और हम हालात देखकर केस की सुनवाई करते हैं। 25 अक्टूबर को मामले से जुड़ी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उल्लेखनीय है कि विधायकों के अयोग्य ठहराने जाने के बाद खाली हुई विधानसभा सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। विधायकों ने अपनी याचिका में उपचुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। खास बात है कि उप चुनाव में मौजूदा येदियुप्पा सरकार को हर हाल में छह सीटों पर जीत हासिल करनी होगी, वरना सरकार अल्पमत में आ जाएगी। अयोग्य विधायकों को हटा दें तो वर्तमान में सरकार चलाने के लिए 104 विधायकों की जरुरत हैं जबकि सरकार के पास 106 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में उपचुनाव बाद बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 112 पहुंच जाएगा और सरकार को छह और विधायकों के समर्थन की जररुत होगी।
पूरे समीकरण को ऐसे समझें-
कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं और 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद संख्या घटकर 207 रह जाती है। अभी बहुमत के लिए 104 विधायकों का समर्थन चाहिए और भाजपा के पास 106 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस के 66 विधायक हैं और जेडीएस के 34 और अन्य एक विधायक हैं।